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स्मार्ट फोन से पता चलेगा मोतियाबिंद

५ जुलाई २०११

मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी में भारतीय मूल के वैज्ञानिक रमेश रास्कर ने एक सादा चिप डिवाइस बनाया है जिसे सामान्य स्मार्ट फोन या आई पॉड में लगाने पर वह कुछ ही मिनटों में मोतियाबिंद का पता लगा लगा सकेगा.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

रमेश रास्कर बताते हैं कि कैट्रा बहुत सस्ता उपकरण है और वह आंखों के लिए राडार की तरह काम करता है. इस डिवाइस को विकसित करने वाले रमेश रास्कर एनईसी करियर डेवलपमेंट असोसिएट प्रोफेसर कंप्यूटर एंड कम्यूनिकेशन और मीडिया लैब कैमेरा कल्चर ग्रुप में काम करते हैं. वह कहते हैं, "जैसे मौसम का पता लगाने के लिए रडार आसमान में बादलों की तलाश करता है, उसी तरह से कैट्रा आंखों में रोशनी के जरिए वह धब्बे ढूंढ सकेगा जो मोतियाबिंद कहलाते हैं."

स्मार्ट फोन से स्मार्ट जांच

इसे आसानी से स्मार्ट फोन या स्मार्ट उपकरण में लगाया जा सकता है. कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद के कारण दुनिया भर में कई लोग अंधेपन का शिकार होते जबकि इसे आसानी से ऑपरेशन के जरिए हटाया जा सकता है.

मोतियाबिंद का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य उपकरण की कीमत 5 हजार अमेरिकी डॉलर है और इसके परीक्षण को पढ़ने और समझने के लिए एक फिजिशियन की भी जरूरत होगी. और इन दोनों ही चीजों की गांव में नहीं मिलती है.

मीडिया लैब कसे स्नातक छात्र विक्टर पांप्लोना. कैट्रा को विकसित करने वाली टीम में शामिल हैं. वह बताते हैं कि "उपकरण आंख की पुतली को स्कैन करता है और कैटरैक्ट की स्थिति, आकार और घनत्व के बारे में बताता है."

एमआईटी ने अपने बयान में कहा है, "कैट्रा मोतियाबिंद के शुरुआती निदान के लिए आसान और सस्ता उपाय साबित हो सकता है. खासकर गरीब देशों में जहां इसका पता लगाने के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं."

साथ ही यह नया उपकरण कैटरेक्ट के शुरुआती दौर में ही उसका पता लगा सकेगा जो वर्तमान परीक्षणों में संभव नहीं है. कैट्रा आंख की पुतली में होने वाले बदलावों को तेजी से पकड़ लेता है भले ही लैंस उस हिस्से में पूरी तरह अपारदर्शी नहीं हो गया हो.

सस्ता और सक्षम

फिलहाल जो परीक्षण किए जाते हैं वह लाइट के परावर्तित होने पर आधारित हैं. इन टेस्ट में रोशनी आंखों की पुतली पर डाली जाती है और परावर्तित होती है. इसके आधार पर डॉक्टर मोतियाबिंद है या नहीं यह बताते हैं, जबकि कैट्रा में प्रकाश लैंस से गुजरता है. और मरीज को बताना होता है कि प्रकाश का बिंदु स्थिर रहता है, हल्का होता है या गायब हो जाता है. रास्कर बताते हैं, हम डॉक्टर से पूछने की बजाए मरीजों से पूछते हैं.

इस नए उकरण को अगस्त में होने वाले सालाना कंप्यूटर ग्राफिक कॉन्फरेंस सिग्राफ (SIGGRAPH) के दौरान वेंकूवर में पेश किया जाएगा.

यह उपकरण पुराने सिस्टम नेत्र (NETRA) के आधार पर आगे विकसित किया गया है. जिसमें स्मार्ट फोन पर एक अन्य तरह की क्लिप लगाई जाती है जो अपवर्तन से जुड़ी आंखों की बीमारी का पता लगा सकती थी.

ब्राजील के गेस्ट प्रोफेसर और टीम के सदस्य मानुएल ओलिवेइरा कहते हैं कि नेत्र और कैट्रा उन इलाकों के मरीजों के लिए बहुत अच्छे साबित हो सकते हैं जहां आंखों के डॉक्टर नहीं हैं या बहुत दूर हैं.

दुनिया भर में करीब 25 करोड़ लोग ऐसी आंखों की बीमारियों के कारण देखने से लाचार हो जाते हैं जिनका इलाज संभव है. रास्कर कहते हैं कि कैट्रा जैसे उपकरणों से इस संख्या में तेजी से कमी आ सकती है.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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