'हम एक नए दौर में कदम रख रहे हैं'
४ दिसम्बर २०११डॉयचे वेलेः अफगानिस्तान बैठक शुरू होने वाली है. अफगान उम्मीदों के बारे में बात करते हैं. पिछली बैठक दस साल पहले हुई थी. इस बैठक से अफगानिस्तान क्या हासिल करना चाहता है?
रंगीन ददफर स्पंताः इस बैठक से हम एक बेहतर अफगानिस्तान के लिए पुरानी साझेदारी खत्म करेंगे और सहयोग का एक नया दौर शुरू करेंगे. इस नई साझेदारी के लिए बुनियाद तय कर ली गई है और इसके तहत सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान अधिकारियों को सौंपी जाएगी और अफगानिस्तान में बेहतर शासन के सिद्धांत लागू किए जाएंगे. अफगानिस्तान अपनी संप्रभुता वापस हासिल कर लेगा और अपने मामलों की पूरी जिम्मेदारी खुद लेगा.
जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है कि यह बैठक एक समझौते के बारे में है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान को अकेला नहीं छोड़ेगा और उसे सहयोग देता रहेगा. इसके बदले अफगानिस्तान अच्छे शासन को लेकर और जल्दी प्रगति करने की कोशिश करेगा. क्या आपकी समझ भी कुछ इसी तरह की है?
हम एक साथ समझौतों पर काम कर चुके हैं. हमनें अपनी उम्मीदें सामने रख दी हैं और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से भी बात की है. उन्होंने अपनी अपेक्षाएं भी हमें बताईं. यह एक साझा सफर है और जिम्मेदारियां भी साझी होंगी. हम अफगान लोगों के लिए जिम्मेदार हैं और हम अच्छा शासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एजेंडा स्थापित करना चाहते हैं. साथ ही, हम अफगान जनता की सुरक्षा और उनके हितों को सुरक्षित करना चाहते हैं.
आपको क्या लगता है, अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को किस तरह का योगदान देना चाहिए? आपको किस चीज की जरूरत है?
पिछले 10 सालों में हमने बहुत कुछ हासिल किया है. यह दुख वाली बात है कि मीडिया ने बुरी खबरों को ज्यादा अहमियत दी है, जो मैं उनके नजरिए से समझ सकता हूं. शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और कानून लागू करने की हैसियत से हमने काफी कुछ हासिल किया है. लेकिन दूसरी ओर अफगानिस्तान अपने आप को एक बहुत ही खतरनाक माहौल में घिरा महसूस करता है, क्योंकि अब भी वह आतंकवाद का केंद्र है. हम इस मामले में लंबी साझेदारी की उम्मीद रखते हैं.
इस बैठक में एक अहम साझेदार, पाकिस्तान, नहीं शामिल हो रहा है. इससे बैठक के नतीजों पर क्या फर्क पड़ेगा?आपको क्या लगता है?
आपको पता है कि यह हमारे इतिहास में सबसे बड़ी बैठक है जिसमें अफगानिस्तान के बारे में और अफगानिस्तान के साथ साझेदारी पर बहस की जाएगी. जर्मनी में भी यह अब तक का सबसे बड़ा कान्फ्रेंस है जिसमें 101 देश और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि आ रहे हैं. मुझे अफसोस है कि हमारे पाकिस्तानी भाई और बहन इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. पाकिस्तान के लिए अकेले हो जाना उसके फायदे में नहीं है. लेकिन अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के केंद्र में है. मैं अपने पाकिस्तानी दोस्तों की गैरहाजिरी से दुखी हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के नहीं होने से हमें नुकसान होगा. लेकिन अच्छा होता अगर वे हमारे साथ बातचीत में शामिल होते.
आप 23 साल जर्मनी में रह चुके हैं. आपके मुताबिक, अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण को लेकर जर्मनी की क्या खास भूमिका है?
पुनर्निर्माण और विकास के मामलों में जर्मनी हमारे देश में सबसे बड़ा योगदान दे रहा है. साथ ही अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की संख्या को देखा जाए तो जर्मनी तीसरे नंबर पर है. हम उन सारे लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर अफगान शांति और आजादी के लिए काम किया है. अफगान देश बहुत शुक्रगुजार है. जर्मनी अफगानिस्तान का अच्छा दोस्त है और हम इस बात के लिए जर्मनी आभारी हैं.
इंटरव्यूः ऊटे शेफर, मुख्य संपादक, डॉयचे वेले रेडियो, डॉयचे वेले टीवी / एमजी
संपादनः एन रंजन