हमने ही तो बताया ओसामा का ठिकाना: पाकिस्तान
२८ अप्रैल २०१२अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट दी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब इस बात का श्रेय लेना चाहती है कि ओसामा बिन लादेन के मारे जाने में उसका बड़ा हाथ रहा है. अखबार ने लिखा है, "पहला सुराग और बाद की जानकारियां तो हमारे पास से ही गईं." हालांकि इस अधिकारी का नाम नहीं बताया गया है.
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास के सैनिक शहर एबटाबाद में पिछले साल 2 मई को अमेरिकी सेना ने घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था. इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्तान को नहीं दी गई. इस बात पर कई बार सवाल उठे हैं कि बिन लादेन पाकिस्तान के इतने सुरक्षित इलाके में कैसे रह रहा था. इस घटना के बाद अमेरिका के साथ उसके रिश्ते बेहद खराब हो गए. दोनों देश अब इसे फिर से पाटने की कोशिश कर रहे हैं.
वॉशिंगटन पोस्ट ने जिस पाकिस्तानी अधिकारी का हवाला दिया है, उसका कहना है, "अल कायदा पर दुनिया में कहीं भी हमला हुआ है तो वह हमारी मदद से ही संभव हो पाया है." अखबार का कहना है कि आईएसआई के दूसरे अधिकारी ने दावा किया है कि उन्होंने ही अमेरिका को वह मोबाइल फोन नंबर जुगाड़ करके बताया, जो अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के निजी कूरियर का निकला. बताया जाता है कि इस कूरियर अबु अहमद अल कुवैती पर नजर रखने की वजह से ही बिन लादेन का पता लग पाया और उसे आखिरकार मार गिराया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआई अधिकारी ने दावा किया कि नवंबर, 2010 में उन्होंने अमेरिका को यह नंबर मुहैया कराया और इस बात की भी जानकारी दी कि आखिरी बार इसे एबटाबाद में इस्तेमाल किया गया है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का कहना है कि उस वक्त उन्हें नहीं मालूम था कि यह नंबर कुवैती का है लेकिन सीआईए के विशेषज्ञों ने बहुत कुछ पता लगा लिया था. लेकिन उन्होंने इस जानकारी को पाकिस्तान के साथ साझा नहीं किया.
पाकिस्तानी अधिकारी का कहना है, "उन्हें पता लग गया था कि नंबर किसका है लेकिन उन्होंने हमें नहीं बताया. इसके बाद किसी तरह की साझीदारी नहीं रही. यह भरोसा तोड़ने और धोखा देने की कहानी है." अमेरिका इस बात से इनकार करता है कि उसे यह नंबर आईएसआई से मिला. अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि यह नंबर उन्हें कहीं और से मिला. हालांकि उन्होंने भी नहीं बताया कि कहां से.
इस बीच, सऊदी अरब ने ओसामा बिन लादेन की पत्नियों को अपने देश में पनाह दे दी है. सऊदी अरब के अखबार ने रिपोर्ट दी है कि मानवीय आधार पर उन्हें देश में रहने की इजाजत दी गई है. सऊदी अरब के एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा है कि उनके देश को यकीन है कि पत्नी और बच्चे किसी गलत काम में नहीं लगे थे. सऊदी अरब की सरकार ने हालांकि अभी तक औपचारिक बयान नहीं दिया है.
एजेए/एमजे (एएफपी)