हमें न सिखाएं सिब्बल: अन्ना
७ जून २०११सूचना अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने बताया कि बुधवार सुबह 10 बजे से अन्ना हजारे और उनके समर्थक राजघाट पर धरने पर बैठेंगे. अन्ना पहले जंतर मंतर पर भूख हड़ताल करने जा रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर इसकी अनुमति नहीं दी. अन्ना की मुहिम से जुड़े वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने पुलिस के इस रुख की आलोचना की है. बेदी और भूषण के मुताबिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का संवैधानिक हक है.
अन्ना अप्रैल में भी जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे थे. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके पांच दिन के अनशन से केंद्र सरकार हिल गई और फौरन लोकपाल बिल के मसौदे को लेकर एक कमेटी बना दी गई. कमेटी में सरकार के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के नुमाइंदे हैं. लेकिन अब सरकार और सिविल सोसाइटी के बीच मतभेद उभर रहे हैं.
सिविल सोसाइटी विधेयक के मसौदे पर होने वाली एक बैठक का बहिष्कार कर चुकी है. इसके बाद केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि लोकपाल बिल का मसौदा सिविल सोसाइटी के बिना भी तैयार हो सकता है. सिब्बल के बयान के जवाब में मंगलवार को अन्ना ने कहा, "वह हमारे मुंह शब्द डालने की कोशिश कर रहे हैं. वह कहना चाहते है कि हम लोग भविष्य में किसी बैठक में शामिल न हों. लेकिन हम आपको इतनी आसानी से नहीं छोड़ेंगे."
इसके बाद पिछले हफ्ते योग गुरू बाबा रामदेव भी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ अनशन पर बैठे. लेकिन पहली रात को ही दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर बाबा रामदेव और उनके समर्थकों को रामलीला मैदान से जबरन हटा दिया. पुलिस की कार्रवाई को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है. लाठीचार्ज के विरोध में अन्ना हजारे और अन्य लोग एक दिन के धरने पर बैठ रहे हैं. लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग कमेटी की बैठक का भी इसी के चलते बहिष्कार किया गया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: उभ