हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरने की कहानी
हिरोशिमा और नागासाकी पर 75 साल पहले गिरा परमाणु बम यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के छह साल लंबे खुफिया मिशन का नतीजा था. इन छह सालों की कहानी तस्वीरों में देखिए...
परमाणु बम का विचार
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने 1939 में पत्र लिख कर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट को नाभिकीय संलयन की विनाशकारी ताकत के बारे में बताया. जर्मन रसायनविज्ञानी ऑटो हान ने इसकी खोज की थी. पत्र में कहा गया था कि इस प्रक्रिया का नतीजा "एक नए तरह का अत्यंत शक्तिशाली बम" होगा. रूजवेल्ट ने इसके बाद यूरेनियम पर सलाहकार बोर्ड का गठन किया.
पर्ल हार्बर पर हमला
7 दिसंबर 1941 को जापान के सैकड़ों युद्धक विमानों ने पर्ल हार्बर में मौजूद अमेरिकी बेस का ज्यादातर हिस्सा तबाह कर दिया. इस हमले में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके अगले ही दिन अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में उतरने का एलान कर दिया.
2 अरब डॉलर का बजट
साल 1942 में अगस्त के महीने में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से परमाणु बम बनाने के लिए एक बेहद खुफिया कार्यक्रम का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट का नाम बाद में मैनहटन प्रोजेक्ट रखा गया. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 2 अरब डॉलर का बजट दिया.
न्यू मेक्सिको की खुफिया लैब
न्यू मेक्सिको के लॉस अलामोस की एक खुफिया लैब में बम बनाने का काम शुरू हुआ. इसके लिए रॉबर्ट ओपेनहाइमर को साइंटिफिक डायरेक्टर बनाया गया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के शीर्ष भौतिकविज्ञानियों की टीम बनी. इसके साथ ही हजारों ऐसे लोग भी काम पर लगे जो नाजी शासन से भाग कर आए थे.
जापानी शहरों पर बमबारी
1945 में 9 और 10 मार्च को अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने जापान में टोक्यो और दूसरे शहरों पर भारी बमबारी की. इस बमबारी ने केवल राजधानी में ही करीब एक लाख लोगों की जीवनलीला खत्म कर दी.
ओकिनावा की लड़ाई
26 मार्च को ओकिनावा की लड़ाई शुरू हुई. अगले तीन महीने में इस लड़ाई में एक लाख से ज्यादा जापानी सैनिकों और इतनी ही संख्या में आम लोगों की बलि चढ़ गई. 12 हजार अमेरिकी सैनिक भी मारे गए. अमेरिकी अधिकारियों ने इस लड़ाई के आधार पर ही परमाणु बम के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराया. उनकी दलील थी कि जापान की मुख्य भूमि पर हमले में इससे भी ज्यादा लोगों की जान जाती.
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन
12 अप्रैल को रूजवेल्ट की मौत हुई और हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. तब उन्हें अब तक बेहद खुफिया रहे मैनहटन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिली. यह तस्वीर 1945 की है.
नाजी जर्मनी का समर्पण
8 मई को जर्मनी ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप की लड़ाई खत्म हो गई. हालांकि इसके बाद भी एशिया और प्रशांत के क्षेत्र में युद्ध अभी जोरों पर चल रहा था. मई और जुलाई के बीच परमाणु बम के हिस्से टिनियान लाए गए. यह मारियाना चेन में वो द्वीप था जहां से बी-29 बॉम्बर विमान जापान पहुंच सकता था.
"ट्रिनिटी टेस्ट"
16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामोगोर्दो के पास सुबह 5.30 बजे ट्रिनिटी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में परमाणु बम की ताकत समझ में आई और परमाणु युग की शुरुआत हो गई.
ट्रूमैन की मंजूरी
"ट्रिनिटी टेस्ट" के सफल होने के बाद 25 जुलाई को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान पर परमाणु बम गिराने के मिशन को मंजूरी दे दी. इसमें उपलब्ध होते ही अतिरिक्त बमों को गिराने की मंजूरी भी शामिल थी.
जापान को चेतावनी
26 जुलाई को पोट्सडाम घोषणा के बाद ब्रिटेन, चीन और अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी कि वो या तो समर्पण करे या फिर "तुरंत और पूर्ण विनाश का" सामना करे. जापान ने इस चेतावनी की अनदेखी करने का फैसला किया हालांकि इसके लिए "मोकुसात्सु" शब्द का प्रयोग किया गया जिसका मतलब है "नो कमेंट."
विनाश का पल
6 अगस्त को सुबह 8.15 बजे अमेरिकी बी29 बॉम्बर "इनोला गे" ने 9000 पाउंड का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया. दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. ट्रूमैन ने जापानी नेताओं को कहा अगर वो समर्पण नहीं करेंगे तो वो हवा से बर्बादी की ऐसी बारिश देखेंगे जैसी पृथ्वी पर कभी नहीं देखी गई.
नागासाकी का विध्वंस
9 अगस्त को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी पर गिराया. समय था सुबह 11.02 बजे का. परमाणु बम के इस हमले में 74000 लोगों की जान चली गई.
जापान का समर्पण
15 अगस्त को जापान के सम्राट हिरोहितो ने घोषणा की कि उनका देश युद्ध हार गया है. हालांकि इसके बाद भी वो देश के सम्राट बने रहे और युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
रूस का हमला
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के चार साल बाद 29 अगस्त 1949 को रूस ने अपने परमाणु बम का कजाखस्तान में परीक्षण किया और परमाणु बम रखने वाला दूसरा देश बन गया. विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में उसने जापान पर हमला किया और उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. कुरील द्वीप उनमें से एक था.