हॉकी संस्थाओं को खेल मंत्रालय की कड़ी चेतावनी
१२ जून २०११दिल्ली में खेल मंत्री अजय माकन ने हॉकी इंडिया और इंडियन हॉकी फेडरेशन के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. खेल मंत्रालय हॉकी इंडिया और इंडियन हॉकी फेडरेशन के बीच चली आ रही तनातनी को खत्म करने के प्रयासों में जुटा है. भारतीय हॉकी जगत की दोनों संस्थाओं में मान्यता और अधिकारों के बंटवारे के मुद्दे पर मतभेद कायम हैं.
मीटिंग के बाद अजय माकन ने बताया, "हमने हॉकी इंडिया और इंडियन हॉकी फेडरेशन को एक संतुलित प्रस्ताव दिया है जिसमें दोनों ही फेडरेशन को बराबरी का महत्व दिया गया है. हमने उन्हें जवाब देने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है. खेल मंत्रालय ने कहा है कि वे अलग अलग जवाब देने के बजाए संयुक्त रूप से जवाब भेजें. अगर वे अब भी राजी नहीं होते हैं तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर दिया जाएगा क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन भी है."
सरकार की इस चेतावनी को राष्ट्रीय खेल महासंघों की स्वायत्तता के हनन के रूप में देखा जा रहा है लेकिन अजय माकन का कहना है कि खेल के हित को ध्यान में रखकर ही उनका मंत्रालय कार्रवाई के लिए मजबूर हो सकता है. "हम किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं. सरकार का कोई भी कदम खेल के हित में होगा और देश की भलाई के लिए लिया जाएगा."
अपने प्रस्ताव में खेल मंत्रालय ने हॉकी इंडिया से एक्जीक्यूटिव बोर्ड की ताकत बढ़ाने और उसमें इंडियन हॉकी फेडरेशन के पदाधिकारियों को शामिल करने के लिए कहा है. खेल मंत्रालय ने हॉकी इंडिया को सुझाया है कि इंडियन हॉकी फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष केपीएस गिल को आजीवन चीफ पैट्रन का पद दिया जाना चाहिए और उन्हें वोटिंग का अधिकार भी मिलना चाहिए. अजय माकन के मुताबिक उचित कदमों को उठाने के बाद हॉकी इंडिया ही भारत में हॉकी के लिए खेल संस्था होगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा