अंडमान के डांस कांड पर हंगामा
१२ जनवरी २०१२अंडमान प्रशासन ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कहा है कि वह वीडियोग्राफर के खिलाफ मुकदमा करेगी. बताया जाता है कि खाने का लालच देकर अंडमान में लुप्त हो रही जारवा जाति के आदिवासियों को सैलानियों के सामने नचाया और इसकी रिकॉर्डिंग कराई. बाद में ब्रिटेन के कुछ समाचारपत्रों में इस मामले की वीडियो लगा भी दी गई, जिसमें हिन्दी में आदिवासियों को नाचने के लिए कहते हुए देखा जा सकता है.
भारत के केंद्रीय आदिवासी मंत्री वी किशोर चंद्रदेव ने इस पूरी घटना को बेहद शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा, "ये शर्म की बात है. आप पैसे के लिए लोगों की नुमाइश नहीं कर सकते हैं. यह कैसा पर्यटन है."
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन से कहा है कि वे पता लगाएं कि इस वीडियो को कब तैयार किया गया और ये आदिवासी बाहरी लोगों के संपर्क में कैसे आए. एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ भारत सरकार कड़ा कदम उठा सकती है. जारवा जाति के सिर्फ 403 लोग बचे हैं, जो दक्षिणी अंडमान में रहते हैं.
हालांकि अंडमान के डीजीपी एसबी देओल इस घटना को थोड़ा कम करके आंकने की कोशिश करते हैं. उनका कहना है कि यह वीडियो दस साल पुराना हो सकता है. लेकिन केंद्र सरकार में गृह सचिव आर के सिंह ने अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव शक्ति सिन्हा से इस मामले पर पूरी रिपोर्ट मांगी है. सिंह ने कहा, "मैंने उनसे कहा है कि सच्चाई का पता लगाने के लिए वह जांच कराएं और इस बात का भरोसा दें कि आगे कभी ऐसी घटना नहीं होगी." वीडियो को जांच के लिए लेबोरेट्री भेजा जा रहा है.
हाल के दिनों में आदिवासी पर्यटन के नाम पर सैलानियों को लुभाने का चलन बढ़ गया है, जिसमें उनसे वादा किया जाता है कि उन्हें लुप्त होती जातियों के लोग दिखाए जाएंगे. ब्रिटेन के ऑब्जर्वर अखबार के पत्रकार गेथिन चेंबरलेन का कहना है, "अगर आप उस सड़क पर जाएंगे, तो वहां आपको पुलिस मिलेगी. लेकिन मुश्किल वहां खड़ी होती है, जब यह पता नहीं होता कि किसे रिश्वत देनी है."
ऑब्जर्वर ने इस वीडियो को जारी कर दिया है. इसमें तारीख का जिक्र नहीं है लेकिन कुछ अधनंगी आदिवासी महिलाएं दिख रही हैं, जिनसे हिन्दी में बात की जा रही है. भारतीय कानून के तहत जारवा जाति के लोगों के संपर्क में आना या फिर उनकी फोटोग्राफी करना अपराध है. समझा जाता है कि इस प्रजाति के लोग सबसे पहले अफ्रीका से एशिया पहुंचे और हिन्द महासागर के पास आकर बसे. वे तभी से खानाबदोश जीवन बिता रहे हैं.
यह इलाका 2004 में सूनामी की चपेट में भी आया था और उस वक्त भी आदिवासियों का मामला सामने आया था. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में चार आदिवासी जातियां रहती हैं, ओन्गे, ग्रेट अंडमानीज, सेंटेनेलीज और शोम्पेंस. वहां एक और जाति हुआ करती थी, बो. लेकिन बो जाति जनवरी 2010 में पूरी तरह खत्म हो गई.
रिपोर्टः एएफपी, पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एन रंजन