अंतरिक्ष में चीन को बड़ी कामयाबी
२४ जून २०१२रूस और अमेरिका के बाद चीन ऐसा तीसरा देश बन गया है जिसके अंतरिक्ष यात्रियों ने खुद यान को प्रयोगशाला से जोड़ा है. इसे मैनुअल डॉकिंग कहा जाता है. इस प्रक्रिया में अंतरिक्ष यात्री यान का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेते हैं और फिर यान को प्रयोगशाला से जोड़ते हैं. मैनुअल डॉकिंग तब की जाती है जब विमान की ऑटोमैटिक डॉकिंग संभव न हो. अंतरिक्ष में बहुत कम गुरुत्व बल के बीच तेज रफ्तार यान को एक जगह फिक्स करने का यह काम बेहद जोखिम भरा माना जाता है. सोवियत संघ और अमेरिका 1960 के दशक में यह कर चुके हैं.
चीन के तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने शेनजू-9 कैप्सूल को कुशलता से नियंत्रित करते हुए तियानगोंग-1 प्रयोगशाला में जोड़ा. चीनी अंतरिक्ष यात्री पिछले एक हफ्ते से कैप्सूल में रह कर काम कर रहे हैं. चीन अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहता है. इसे इसी की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.
अंतरिक्ष यात्रियों के दल में 33 साल की लियू यांग भी हैं. वह चीन की पहली महिला अंतरिक्षा यात्री है. यांग चीनी वायुसेना की पायलट हैं. लियू के साथ मिशन कमांडर और अनुभवी अंतरिक्ष यात्री जिंग हाइपेंग और लियू वांग हैं.
माना जा रहा है कि मिशन 10 दिन तक चलेगा. शेनजू-9 को 16 जून के उत्तरी चीन के गोबी रेगिस्तान से छोड़ा गया था. चीन को उम्मीद है कि अमेरिका और रूस की तरह वह भी स्वतंत्र ढंग से अपना स्पेस स्टेशन बना और चला सकेगा. अभी तक सिर्फ यही तीन देश हैं जो मानव को अतंरिक्ष में भेज सके हैं. इसी साल के अंत में चीन एक बार फिर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी कर रहा है. अब उसकी मंजिल चांद है.
तियानगोंग-1 को चीन ने पिछले साल लॉन्च किया था. यह 2020 तक स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन की जगह ले लेगा. इसका वजन करीब 60 टन होगा. अभी अंतरिक्ष में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का स्काईलैब नाम का स्टेशन वहां है. 16 देशों के सहयोग से तैयार किए गए स्काईलैब में अभी कई देशों के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
ओएसजे/एमजी (एएफपी, पीटीआई)