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अंतरिक्ष में पहली महिला भेजेगा चीन

१५ जून २०१२

पहली बार एक महिला अंतरिक्ष की यात्रा कर रही है. चीन शनिवार को लियू यांग सहित दो पुरुष एस्ट्रोनॉट भेज रहा है. इसके साथ चीन दुनिया में केवल तीसरा ऐसा देश बनेगा जिसका अंतरिक्ष में स्थायी स्टेशन होगा.

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लियू की पहली अंतरिक्ष यात्रातस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com

34 साल की लिऊ यांग चीन की वायुसेना में पायलट हैं. शनिवार को उनके साथ दो और अंतरिक्ष यात्री शेनजू 9 स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगी. शेनजू का लक्ष्य है पथ्वी से 343 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा तियानगोंग मॉड्यूल जिसे चीन ने पिछले साल भेजा था. चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रवक्ता वू पिंग ने कहा, "महिला अंतरिक्ष यात्री को भेजना अंतरिक्ष यात्रा का अहम हिस्सा तो है ही साथ ही लोग भी यही अपेक्षा करते हैं. यह एक ऐतिहासिक घटना है." लिऊ एक बच्चे की मां हैं. उनके अलावा अंतरिक्ष की यात्रा के लिए तैयार हो रही बाकी सब महिलाओं के भी बच्चे हैं क्योंकि अंतरिक्ष में विकिरण के प्रभाव से उनकी प्रजनन शक्ति पर असर पड़ सकता है.

इनमें से दो अंतरिक्ष यात्री तियानगोंग के अंदर रहकर उसे टेस्ट करेंगे और तीसरा शेनजू के अंतरिक्ष कैपसूल में रहेगा ताकि आपातकालीन स्थिति में परेशानियों का सामना कर सके. तियानगोंग में यात्री देखेंगे कि वहां रहने में कैसी मुश्किले आ सकती हैं. वू ने कहा कि चीन का यह मिशन दस दिनों से ज्यादा लंबा हो सकता है और जब वे वापस आएंगे तो पश्चिमी चीन के मैदानों में पैराशूट के जरिए लैंड करेंगे. शेनजू उड़ान भरने के लिए लगभग तैयार हो गया है. शुक्रवार से ही इसमें ईंधन भरना शुरू कर दिया गया था. लॉन्च के लिए जीएमटी के हिसाब से शाम के 6 बजकर 37 मिनट का वक्त तय किया गया है. शेनजू चीन के मध्य में गोबी रेगिस्तान से उड़ान भरेगा. लियू के साथ वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री और मिशन के कमांडर जिंग हाइपेंग और लिऊ वांग हैं जो वायुसेना में कर्नल हैं. मिशन की प्रवक्ता वू ने कहा कि यह मिशन पुरानी और नई तकनीक का जोड़ है और इसमें पुरुषों और महिला के बीच अंतरिक्ष में तालमेल भी देखा जाएगा.

China Raumfahrt Rakete für Tiangong-1 Modul Flash-Galerie
तियानगोंग 1तस्वीर: dapd

तीनों एस्ट्रोनॉट मानव शरीर से संबंधित अहम प्रयोग करेंगे और देखेंगे कि गुरुत्वाकर्षण की कमी में शरीर की प्रतिक्रिया कैसी रहती है. इसके अलावा तियानगोंग में कुछ और वैज्ञानिक परीक्षण भी किए जाएंगे. वू ने कहा कि शेनजू के कैपसूल को पहले रिमोट कंट्रोल से तियानगोंग से लगाया जाएगा और फिर इसे यात्री खुद डॉक कराएंगे. इससे स्थायी स्टेशन के लिए तैयारी की जा सकेगी.

तियानगोंग में शेनजू का पहुंचना और वहां यात्रियों के रहने और काम करने से चीन अपनी भविष्य की परियोजनाओं को और बेहतर कर सकेगा. अगर यह सफल होता है तो चीन अंतिरक्ष में स्थायी स्पेस स्टेशन बना सकेगा और चांद पर भी विमान भेज सकेगा. लेकिन इसमें वक्त लग सकता है.

तियानगोंग 1 केवल शुरुआत है और इससे बेहतर और बड़ा स्टेशन बनाने में चीन को 2020 तक का वक्त लग सकता है. स्थायी स्टेशन का वजन करीब 60 टन होगा जो इस वक्त पृथ्वी के चक्कर काट रहे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस का करीब एक छठा हिस्सा है. विश्लेषकों का कहना है कि 20 साल पहले चीन को आईएसएस में हिस्सा लेने से अमेरिका को आपत्ति थी जिसकी वजह से उसने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई. चीन ने 2003 में पहली बार एक व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजा था. नवंबर 2011 में चीन ने शेनजू 8 को तियानगोंग से जोड़ा.

एमजी/एएम (एपी,डीपीए)

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