अगले दलाई लामा पर बहस और टकराव
२७ सितम्बर २०११76 वर्षीय दलाई लामा ने शनिवार को कहा कि जब वह '90 के आसपास' हो जाएंगे तो फैसला करेंगे कि क्या उनका पुनर्जन्म होना चाहिए. इस बारे में दूसरे बौद्ध भिक्षुओं की सलाह ली जाएगी लेकिन चीन का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.
तिब्बती परंपरा के अंतर्गत बौद्ध भिक्षु किसी ऐसे लड़के को चुनते हैं जिसमें दिवंगत नेता के पुनर्जन्म के संकेत दिखते हैं. लेकिन बहुत से लोगों का अनुमान है कि चीन सरकार साधारण तरीके से खुद दलाई लामा का उत्तराधिकारी नियुक्त कर देगी.
चीन का कड़ा रुख
चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि पुनर्जन्म की कोई भी प्रक्रिया देश के कानूनों और नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. मंत्रालय के प्रवक्ता होन्ग लाई ने पत्रकारों से कहा, "दलाई लामा का पद केंद्रीय सरकार द्वारा तय किया जाता है और ऐसा न करना गैर कानूनी है. दलाई लामा के पुनर्जन्म की प्रक्रिया से जुड़े अनुष्ठानों का एक पूरा समूह है. कभी ऐसा नहीं हुआ जब दलाई लामा ने खुद अपना उत्तराधिकारी चुना हो. दलाई लामा के पुनर्जन्म की प्रक्रिया में धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं और कानून व नियमों का ध्यान रखा जाना चाहिए."
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने कहा है कि उन्होंने अगला दलाई लामा चुनने के लिए "स्पष्ट दिशानिर्देश" तैयार करने का फैसला कर लिया है. वैसे खुद दलाई लामा शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हैं इसलिए छल कपट की कोई गुंजाइश नहीं बचती.
दलाई लामा ने ये बयान 4,200 पन्नों के एक दस्तावेज में दिए हैं जो तिब्बती बौद्ध धर्म की चार विचारधारों के नेताओं की धर्मशाला में हुई बैठक के बाद जारी किया गया. धर्मशाला से ही तिब्बतियों की निर्वासित सरकार चलती है.
दो दलाई लामा!
इससे पहले दलाई लामा ऐसी इच्छा जता चुके हैं कि वह परंपरा को तोड़ते हुए अपना उत्तधराधिकारी अपनी मौत से पहले ही या तिब्बत के बाहर निर्वासितों में से चुनेंगे. उन्होंने चुनाव के जरिए दलाई लामा चुनने का विकल्प भी खुला रखा है.
वहीं चीन के कड़े रुख के चलते दो दलाई लामाओं की संभावना भी उभरने लगी है जिनमें से एक को चीन मान्यता देगा जबकि दूसरे को मौजूदा दलाई लामा का आशीर्वाद प्राप्त होगा. ऐसा 1995 में पहले भी हो चुका है जब चीन ने दलाई लामा की ओर से चुने गए पंचेन लामा को खारिज कर दिया. यह तिब्बती बौद्ध परंपरा में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है. चीन सरकार ने अपनी तरफ से पंचेन लामा का चुनाव किया.
चीन की ओर से चुने गए पंचेन लामा ग्यैनकैन नोर्बु की उम्र इस वक्त 21 साल है और वह अकसर तिब्बत में चीनी शासन की प्रशंसा करते हैं. वहीं दलाई लामा के चुने पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को 1995 से नहीं देखा गया. वह तभी से चीन की हिरासत में हैं.
स्टार बौद्ध भिक्षु!
1959 में चीन सरकार के खिलाफ नाकाम विद्रोह के बाद दलाई लामा भाग कर भारत चले गए. बाद में उन्होंने धर्मशाला में निर्वासित सरकार का गठन किया. भारत ने उनके साथ आए लाखों तिब्बतियों को भी शरण दे रखी है.
चीन सरकार दलाई लामा को अलगाववादी बता कर उन पर तिब्बत में हिंसा भड़काने का आरोप लगाती है जबकि वह खुद को अपनी मातृभूमि के लिए व्यापक स्वायत्तता की शांतिपूर्ण मुहिम चलाने वाला बताते हैं.
इस बारे में चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के बयान की गूंज सुनाई देती है. एजेंसी कहती है, "1959 में जब से दलाई लामा ने तिब्बत छोड़ा है वह एक राजनीतिक भिक्षु होने का आनंद उठा रहे हैं. वह दुनिया भर में घूमते हैं, उन्हें सराहना और पुरस्कार भी मिलते हैं और वह आजादी के अपने दावे को बेचते हैं. वह एक स्टार की तरह हैं. उन्हें अपनी लोकप्रियता खोने का डर भी सताता रहता है जबकि यह ऐसी निजी चीज है जिसका असर उनके साथी भिक्षुओं पर नहीं होगा, लेकिन आखिरकार उन्हें अपनी अलगाववादी कोशिशों की नाकामी की घोषणा तो कभी न कभी करनी होगी."
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार
संपादन: महेश झा