अच्छी जीवनशैली और अच्छा खाना दूर रखेगा कैंसर
९ सितम्बर २०११पूरी दुनिया में पिछले एक दशक के भीतर ही कैंसर के मरीजों की तादाद हर साल करीब 20 फीसदी बढ़ने लगी है. हर साल 1 करोड 20 लाख नए लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं. दिल, फेफड़े और मधुमेह जैसी बीमारियों की तरह ही ये भी दुनिया के लिए स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक बन गई है.
दो हफ्ते पहले संयुक्त राष्ट्र के गैर संक्रामक रोगों पर बुलाए गए सम्मेलन में इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई. कैंसर रिसर्च फंड ने इस मौके पर कहा कि राजनेताओं के सामने यह एक बड़ा मौका है जब वो कैंसर और खराब जीवनशैली के कारण होने वाली दूसरी बीमारियों को रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं. दुनिया भर के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी रखने वालों की मानें तो गैर संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में करीब एक तिहाई की वजह कैंसर है और उसे रोका जा सकता है. जानकारों के मुताबिक शराब पीने में कमी, अच्छा भोजन, धूम्रपान पर रोक और शारीरिक गतिविधियों में इजाफा कर के इस पर लगाम लगाई जा सकती है.
हरकत में आए सरकार
इन सबको अमल में लाने के लिए जरूरी यह है कि सरकार हरकत में आए. टैक्स, सख्त नियम, विज्ञापन पर रोक और इस जैसे दूसरे कदमों के लिए राजनेताओं को तंबाकू, अल्कोहल और खान पान से जुड़े दूसरे उद्योगों से टकराव मोलनी पड़ती है. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड यानी डब्ल्यूसीआरएफ के चिकित्सा और वैज्ञानिक सलाहकार मार्टिन वाइजमैन कहते हैं, "पूरी दुनिया में लाखों लोगों का जीवन खतरे में हैं और इसे यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता. लोगों को अब भी नहीं पता कि शराब और मोटापा कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं. इसके साथ ही खाने पीने की चीजों की कीमतें और टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन लोगों को स्वास्थ्यकर आदतें अपनाने से रोकते हैं."
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कैंसर, दिल के रोक, मधुमेह और श्वास की बीमारियों से हर साल करीब 3 करोड़ 60 लाख लोगों की मौत होती है. अगले 20 सालों में ये बीमारी और बढ़ेगी और 2030 तक इस तरह की बीमारियों से हर साल मरने वाले लोगों की तादाद करीब 5 करोड़ 20 लाख तक पहुंच जाएगी.
विकाशील देशों को भी खतरा
आम तौर पर इन बीमारियों को अमीर देशों की परेशानी माना जाता है लेकिन गैर संक्रामक रोग गरीब मुल्कों में भी लोगों को उतना नुकसान पहुंचाते हैं. गैर संक्रामक रोगों के कारण मरने वाले 80 फीसदी लोग कम और मध्यम आमदनी वाले देशों के हैं. डब्ल्यूसीआरएफ के मुताबिक हर साल विकासशील देशों में 70 लाख से 1 करोड़ 20 लाख लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसी आशंका है कि आने वाले सालों में इसमें बहुत ज्यादा इजाफा होगा. डब्ल्यूआरएफ के विज्ञान और संचार निदेशक केट एलन ने कहा, "अगर हमने अपनी कोशिश तुरंत नहीं शुरू की तो भविष्य में केवल आपदा और महामारी ही नहीं बल्कि कैंसर के मरीजों की देखभाल का खर्च भी विकट समस्या के रूप में सामने आएगा."
संयुक्त राष्ट्र में इसी महीने की 19 और 20 तारीख को वैश्विक स्वास्थ्य के मसले पर एक बड़ी बैठक बुलाई गई है. इस तरह की बैठक इससे पहले एक बार ही बुलाई गई थी. तब दशक भर पहले हुई इस बैठक में एचआईवी और एड्स को सबसे बड़ा खतरा माना गया था. हालांकि बैठक से पहले इस बात की आशंकाएं भी जोर पकड़ रही हैं कि इस सम्मेलन से कुछ खास फायदा नहीं होगा. इसकी वजह यह है कि अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे दुनिया के अमीर और ताकतवर देश इन बीमारियों को रोकने के लिए टैक्स और सख्त कानून के मामले में कोई बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं. वाइजमैन ने कहा कि असली समस्या नए उपायों को सामने लाना नहीं बल्कि उन्हें अमल में लाना है जिसे हम पहले से ही जानते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया