अजमल कैसे बना क्रूर कसाब
२१ नवम्बर २०१२दहीबड़ा बेच कर परिवार पालने वाले पिता से 2005 में झगड़ने के बाद कसाब ने गांव छोड़ दिया. बड़े भाई तरह की दूसरे शहर में मजदूरी करना उसे ठीक नहीं लगा. पेट भरने के लिए कसाब छोटे मोटे अपराध में जुट गया. अपने दोस्त मुजफ्फर खान के साथ वह छोटी मोटी चोरी चकारी करने लगा. इसी बीच दोनों हथियार दिखाकर लोगों से लूट पाट भी करने लगे. यह सिलसिला करीब दो साल चला.
दिसंबर 2007 में ईद के मौके पर कसाब और मुजफ्फर रावलपिंडी बाजार पहुंचे. वे बढ़िया हथियार खरीदना चाहते थे. इस दौरान उनकी मुलाकात जमात उद दावा के लोगों से हुई. जमात उद दावा संगठन के लोगों ने ही आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा खड़ा किया है. जमात उद दावा के लोगों से बातचीत के बाद कसाब और मुजफ्फर उनके साथ काम करने को तैयार हो गए.
कसाब की गवाही के मुताबिक इसके बाद जमात उद दावा के लोग उन्हें मर्कज तैयबा लेकर गए, जहां लश्कर ए तैयबा का कैंप था. कैंप में खास प्रशिक्षण के लिए 24 लड़के छांटे गए. इन लड़कों को विशेष ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर ले जाया गया. पहाड़ी इलाके में इन युवकों को कमांडो की तरह घंटों तक अकेले लड़ने का अभ्यास कराया गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 24 में से 10 लड़के चुने गए. इन्हीं में एक कसाब भी था.
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक लश्कर ए तैयबा के सीनियर कमांडर जकी उर रहमान लखवी ने मुंबई हमलों में हिस्सा लेने वाले हर लड़के के परिवार को 1,50,000 रुपये दिए. कसाब पाकिस्तानी पंजाब के ओकरा गांव का रहने वाला है. पड़ोसियों के मुताबिक मुंबई हमलों से छह महीने पहले कसाब गांव आया. उसने मां से कहा कि वह जिहाद के लिए उसे दुआएं दे. गांव के अपने दोस्तों के सामने उसने कमांडो ट्रेनिंग के कुछ दांव भी दिखाए.
इसके बाद कराची आया, वहां उसकी मुलाकात अपने बाकी नौ साथियों से हुई. फिर सब पूरी तैयारी के साथ मुंबई के लिए रवाना हुए. सभी आतंकवादियों के बैग में पानी की बोतल, सूखे मेवे, ग्रेनेड और गोलियां भरी हुई थी, हाथ में एके-47 लहरा रही थी.
तीन दिन तक चले हमले में नौ आतंकवादी मारे गए, कसाब अकेला जिंदा पकड़ा गया. हालांकि उसे भी उम्मीद नहीं थी कि मुंबई हमलों के दौरान वह जिंदा पकड़ा जाएगा. कसाब की गवाही ने हमले की कई कड़ियां सुलझाने में मदद की. हमले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने उसे 80 अपराधों का दोषी करार दिया. इनमें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध भी था, जिसकी सजा फांसी है. विशेष अदालत के फैसले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी मुहर लगाई. अदालत के बाद भारत के राष्ट्रपति ने भी कसाब पर कोई नरमी नहीं बरती.
ओएसजे/एनआर (पीटीआई)