अनाथालय बने बच्चों के यौन शोषण के गढ़
१२ जुलाई २०१२आर्य अनाथालय में पिछले साल दिसंबर में 11 साल की एक बच्ची की मौत हुई. मौत की वजह डायरिया बतायी गई. लेकिन अब पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट से साफ हुआ है कि बच्ची से बलात्कार किया गया. पुलिस दोबारा मामले की तफ्तीश कर रही है. अनाथालय के 25 साल के सुरक्षा गार्ड और 14 साल के वॉर्डन ब्वॉय के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया गया है.
हक सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स की भारती अली का कहना है, ''पहले हमारा मानना था कि ये अनाथालय साफ सुथरा और अच्छी जगह है. यहां बच्चों को ठीक से खाना खिलाया जाता है. लेकिन जब हमने यहां के कुछ बच्चों से बात की तो पता चला कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. वार्डेन उनकी पिटाई करते हैं.'' मामले की जांच के लिए कोर्ट ने एक न्यायिक समिति का गठन किया था जिसमें एक जज और दो समाजिक कार्यकर्ता रखे गए थे. मई में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस अनाथालय में 2009 में भी एक पांच साल की बच्ची के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. बाद में मेडिकल जांच के बाद आरोप की पुष्टि भी हुई.
इसी साल नैशनल काउंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की टीम ने दिल्ली के एक दूसरे अनाथालय का दौरा किया. वहां के बारे में जो रिपोर्ट तैयार की गई उसमें अनाथालय को 'आतंक का राज' कहा गया. रिपोर्ट में अनाथायलय में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार, मारपीट और मानसिक उत्पीड़न के किस्से दर्ज किए गए. रिपोर्ट सामने आने के बाद अनाथाश्रम बंद कर दिया गया और उसके मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया.जहां तक कानून की बात है भारत का रिकॉर्ड इस मामले में बेहद खराब रहा है. बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाले सजा से अक्सर बच जाते हैं. बच्चों के यौन शोषण के मामले में सजा सुनाए जाने का एक चर्चित मामला पिछले साल सामने आया था. मुंबई के एक अनाथालय में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने के मामले में दो ब्रिटिश नागरिकों को 6 साल के जेल की सजा सुनाई गई थी. बाल अपराध के मामले में सलाह देने वाले वकील अनंत कुमार अस्थाना कहते हैं, "भारत में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो बिना किसी जांच पड़ताल के चल रही हैं. यहां पर वास्तव में कितने संस्थान हैं, ये गिनती करना बेहद मुश्किल है क्योंकि इनमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो किसी दायर में नहीं आते." भारत में 2000 में लागू किया गया बाल अपराध कानून अनाथाश्रमों के अंदर होने वाले अपराधों के बारे में दिशा निर्देश उपलब्ध करता है लेकिन कई निजी अनाथालय ऐसे हैं जो रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराते.
अस्थाना के मुताबिक समस्या का कारण ये भी है कि अनाथालय की देखभाल करने वालों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता. वह कहते हैं, "बच्चों के साथ जो काउंसलर और फील्ड वर्कर काम करते हैं वो 10वीं पास भी नहीं होते. जब बच्चे शैतानी करते थे तो ये लोग जल्दी गुस्से में आ जाते हैं. ऐसे लोग मानते हैं कि बच्चों को डर दिखाना जरूरी होता है. जब एक बच्चा शैतानी करता है तो दूसरे भी शैतानी में लग जाते हैं.'' अनाथाश्रमों में एक तरफ तो वो बच्चे आते हैं जिनके मां बाप नहीं हैं दूसरी तरफ वो बच्चे भी आते हैं जिनके मां बाप उन्हें पर्याप्त सुविधा नहीं दे पाते.
पिछले साल आर्य अनाथालय में जिस 11 साल की बच्ची की मौत हो गई है वो ऐसा ही मामला था. उसे चार साल पहले अनाथालय में उसकी मां छोड़कर गई थी. बच्ची की 24 साल की मां का नाम पूजा था और वो अपने तीन बच्चों का पालन पोषण करने में असमर्थ थी. समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए पूजा ने कहा, "मैं दिन भर काम करती थी और बच्चियों को खुद ही स्कूल आना और जाना पड़ता था. तब मुझे लगता था कि बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं." एक तरफ जहां बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार आम है वहीं बच्चे भी खुद इस बारे में किसी से बात करने से कतराते हैं. कानून के जानकार मानते हैं कि इससे निपटने के लिए कानून जितने कठोर होने चाहिए उतने कठोर नहीं हैं.
वीडी/ओएसजे (एएफपी)