अफगानिस्तान में अस्पताल पर हमला
२५ जून २०११अफगानिस्तान सरकार ने हमले को अमानवीय बताया है. पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "इस हृदय विदारक घटना में हमारे 60 देशवासी मारे गए. शहीदों में बच्चे, महिलाएं, युवा और पुरुष हैं. स्वास्थकर्मियों समेत 120 लोग घायल हुए हैं. देश के संघर्ष के इतिहास में यह अमानवीय हरकत पहली बार हुई है. ऐसी जगह को निशाना बनाया गया जहां जख्म भरते हैं, जहां मरीजों का इलाज होता है." लेकिन बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मृतकों की संख्या कम है. 40 घायलों का इलाज चल रहा है.
अस्पताल के पास रहने वाले अब्दुल रहमान के परिवार के सात लोग धमाके में मारे गए. बिलखते हुए रहमान बोले, "तीन महिलाओं और दो बच्चों समेत मेरे परिवार के सात लोग मारे गए. वे सब सुबह अस्पताल गए थे. मैं घर पर था. जैसे ही मैंने बड़ा धमाका सुना मैं भागकर बाहर गया. मेरे सामने लाशें और तड़पते हुए लोग थे. कई आग में जल रहे थे."
लोगार प्रांत के प्रवक्ता दीन मोहम्मद दरवेश के मुताबिक हमला विस्फोटकों से भरी कार से किया गया. तालिबान ने हमले से इनकार किया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, "हम अस्पताल पर हमले की निंदा करते हैं, जिसने भी यह किया है वह तालिबान को बदनाम करना चाहता है."
अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने हमले पर गहरा शोक जताया है. तेहरान में इलाके की सुरक्षा पर हो रहे छह देशों के सम्मेलन में करजई ने कहा कि अफगानिस्तान और उसके आस पास आतंकवाद बढ़ रहा है. अफगान राष्ट्रपति ने कहा, "अफगानिस्तान ने अभी तक शांति और सुरक्षा हासिल नहीं की है लेकिन अफगानिस्तान और उसके आसपास के इलाकों में आतंकवाद फैल रहा है और ज्यादा डरावना बनता जा रहा है."
अफगानिस्तान में शुक्रवार को भी एक धमाका हुआ था, कुंदुज प्रांत में हुए साइकिल धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई और 24 घायल हुए.
धमाका ऐसे वक्त में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने की योजना पेश कर चुके हैं. अगले साल गर्मियों के अंत तक 33,000 अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे. जर्मनी, फ्रांस और स्पेन के सैनिक भी हिंसा से जूझते देश से निकल जाएंगे. 2014 तक अफगानिस्तान से सभी विदेशी सैनिक लौट आएंगे. फिलहाल वहां 1,50,000 विदेशी सैनिक तैनात हैं, जिनमें 99,000 अमेरिकी फौजी हैं. माना जा रहा है कि विदेशी सेनाओं के वहां से निकलने के बाद हालात और बुरे होंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा