"अफगानिस्तान से वापसी में खतरा है"
२४ जून २०११अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल डेविड पैट्रियस और जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलन ने स्पष्ट कर दिया है कि सैनिकों की वापसी की जिस योजना की घोषणा बराक ओबामा ने की है वह उनकी नहीं है. बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस साल वह 10 हजार सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाएंगे. अगले साल सितंबर अफगानिस्तान से लौटने वाले सैनिकों की संख्या बढ़कर 33 हजार हो जाएगी.
नई मुश्किल है योजना
पैट्रियस और मुलन ने चेतावनी दी है कि ओबामा की यह योजना अफगानिस्तान में नई मुश्किल खड़ी कर सकती है. हालांकि दोनों सैन्य अधिकारियों ने कहा कि वे ओबामा के फैसले का समर्थन करते हैं और चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई में जीत अब भी संभव है. उन्होंने कहा, "हमने जैसा चाहा होता, उसके विपरीत ज्यादा संख्या में सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की गई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हम इसके विरोध में अपना इस्तीफा देने जा रहे हैं."
माइक मुलन ने भी माना है कि सैनिकों को वापस बुलाने की यह घोषणा काफी आक्रामक कही जाएगी और इसमें ज्यादा खतरा है. लेकिन मुलन मानते हैं कि इस खतरे को काबू किया जा सकता है. वहीं राष्ट्रपति बराक ओबामा ने न्यूयॉर्क में सैनिकों को संबोधित करते हुए अपनी योजना का बचाव किया और कहा कि अभियान ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि सैनिकों को वापस बुलाया जा सकता है. ओबामा ने कहा, "हम जल्दबाजी में ऐसा नहीं कर रहे हैं. हम बेहद संभल कर कदम उठाएंगे ताकि जो भी फायदा हमें मिला है उसको आगे बनाए रखा जा सके."
सीमित हो वापसी
नपे तुले शब्दों में अमेरिकी सैन्य कमांडरों ने बराक ओबामा के फैसले पर अपना प्रतिरोध जता दिया है. अमेरिकी सेना की कोशिश रही है कि सैनिकों को वापस बुलाने में और समय लिया जाए. जल्द ही अमेरिकी रक्षा मंत्री के पद को छोड़ने वाले रॉबर्ट गेट्स ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सैनिकों की वापसी बेहद सीमित संख्या में होनी चाहिए. वैसे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया है.
अमेरिकी कांग्रेस में ओबामा के इस फैसले पर दो राय देखने को मिल रही है. एक पक्ष का कहना है कि कई सांसद तेजी से अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं जबकि अन्य इतनी संख्या में सैनिकों को बुलाए जाने को खतरनाक राजनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं. ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद सैनिकों को हटाने की मांग ने जोर पकड़ा है. लेकिन 33 हजार सैनिकों की कटौती के बावजूद अफगानिस्तान में करीब 70 हजार सैनिक मौजूद रहेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: वी कुमार