1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अफगानिस्तान में मालामाल हो सकता है भारत

२८ नवम्बर २०११

अफगानिस्तान ने हाजीगाक के लौह अयस्क के तीन बड़े खदानों का जिम्मा भारत की स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दिया है. काबुल में अफगान सरकार ने इस बात की जानकारी दी. यहां भारत को भारी भरकम मुनाफा हो सकता है.

https://p.dw.com/p/13IZv
तस्वीर: picture alliance/dpa

अफगानिस्तान की नीति तय करने वाले विभाग के निदेशक अब्दुल जलील जुमरियानी ने बताया कि ऐसे चौथे ब्लॉक का अधिकार कनाडा के किलो गोल्डमाइंस को दिया गया है. कनाडा की कंपनी मुख्य रूप से अफ्रीका में काम कर रही है और पहले वह रियो टिन्टो माइनिंग और एक्सप्लोरेशन के साथ मिल कर काम कर चुकी है.

जुमरियानी ने बताया, "बी, सी और डी भारत को दिया गया है, जबकि ए ब्लॉक कनाडा की कंपनी के नाम किया गया है." मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अनुमान है कि हाजीगाक के भंडार में 1.8 अरब टन लौह अयस्क हो सकता है. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के अफीस्को इकाई ने सितंबर में ही इस बात का एलान किया था कि वह अफगानिस्तान में हाजीगाक खदानों के लिए ठेके का आवेदन दे रही है. यह अफगानिस्तान की सबसे बड़ी विदेशी निवेश परियोजना है.

NO FLASH Bodenschätze in Afghanistan
चीन भी चाहता है अफगानिस्तान का तांबातस्वीर: AP

खनन मंत्रालय ने अपनी तरफ से जारी एक बयान में कहा, "अफीस्को और किलो हाजीगाक में जो काम करने वाले हैं, उससे देश में अरबों डॉलर का निवेश होगा और इससे अफगानिस्तान में काफी लोगों को रोजगार मिलेगा. इन कंपनियों ने रेल, बिजली और ढांचागत विकास में भी सहयोग का वादा किया है. उन्होंने शिक्षा और ट्रेनिंग कार्यक्रम में भी मदद का भरोसा दिया है."

समझा जाता है कि अफगानिस्तान में 3000 अरब डॉलर के खनिज और दूसरे प्राकृतिक संसाधन हैं. इनमें लौह अयस्क, तांबा, कीमती पत्थर, तेल, गैस और सोने के भंडार शामिल हैं. लेकिन अफगानिस्तान में सुरक्षा के मौजूदा हालात और घटिया बुनियादी ढांचे को देख कर वहां खनन का काम आसान नहीं लगता.

संयुक्त राष्ट्र ने इस साल कहा है कि पिछले 10 साल में हिंसा के नजरिए से अफगानिस्तान के लिए यह सबसे खराब साल रहा है. हालांकि नाटो के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सेना का दावा है कि उन पर हो रहे हमलों में कमी आई है.

Afghanistan 10 Jahre Intervention Luftangriff NO FLASH
खतरा तालिबान सेतस्वीर: picture-alliance/dpa

हाजीगाक में विदेशी निवेश की वजह से अफगानिस्तान में समृद्धि की प्रबल संभावना है. लेकिन इसके साथ ही दक्षिण भारत की तिकड़ी पाकिस्तान-भारत-अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है. पाकिस्तान हरगिज नहीं चाहता कि अफगानिस्तान और भारत में नजदीकियां बढ़ें क्योंकि उसका देश दोनों के बीच में पड़ता है.

अफगानिस्तान को फिर से खड़ा करने की दिशा में पड़ोसी मुल्कों के लिहाज से सबसे ज्यादा मदद भारत ने किया है. उसने पहले ही दो अरब डॉलर की राशि देने का वादा किया है. इसमें देश के लिए संसद की नई इमारत बनाने का भी प्रस्ताव है.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें