अब ओलंपिक इसी साल की बात
३१ दिसम्बर २०११एक जनवरी से ठीक 209 दिन बाद लंदन ओलंपिक शुरू हो जाएगा. 27 जुलाई को उद्घाटन समारोह होने वाला है. लंदन को ओलंपिक की तैयारी के लिए पूरे सात साल मिले हैं. 2005 में हुई वोटिंग में पेरिस को हरा कर लंदन ने बाजी मारी थी. अब उलटी गिनती शुरू हो गई है और लंदन ओलंपिक समिति के अध्यक्ष सेबेस्टियन को इसे हेली कोमेट की तरह का समय बता रहे हैं. लंदन दुनिया का इकलौता शहर है, जहां तीसरी बार ओलंपिक खेल होने वाले हैं.
अगले साल ब्रिटेन के लिए वैसे भी खास है क्योंकि क्वीन विक्टोरिया की ताजपोशी की हीरक जयंती (60 साल) है और इसी साल यूरोप को फुटबॉल के सबसे बड़े टूर्नामेंट यूरो कप में भिड़ना है. लेकिन इन सबके बीच ओलंपिक का अलग मुकाम होता है. सेबेस्टियन को के रूप में ब्रिटिश ओलंपिक समिति के पास एक पूर्व ओलंपियन हैं, जो 1500 मीटर का गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं.
उनका कहना है, "अब हमें समझ में आ रहा है कि अब हमारे पास कोई साल नहीं बचा है. अब तो सिर्फ कुछ दिन बचे हैं. यह ओलंपिक है. सबसे बड़ा. इसे और बड़ा नहीं कर सकते हैं. और अभी जो जिम्मेदारी है, उससे बड़ी जिम्मेदारी भी नहीं हो सकती है." लेकिन सच तो यह है कि लंदन में दो बार ओलंपिक हो चुके हैं और उसके पास अनुभव और सभी बुनियादी सुविधाएं हैं और सही मायनों में कुछ और करने के लिए नहीं बचा है.
आम तौर पर ऐसे आयोजनों में सवाल होते हैं कि क्या गेम्स विलेज तैयार हो पाएंगे. क्या स्टेडियम बन जाएंगे. लेकिन लंदन में सवाल दूसरे तरह के हैं. क्या ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ठीक रह पाएगी. क्या सुरक्षा ऐसी है कि आतंकी गतिविधियों को रोका जा सकेगा. ज्यादातर जगहों पर 200 देशों से आए 10000 एथलीटों की व्यवस्था की गई है. कुल 16 दिनों तक 26 खेल स्पर्धाओं में 300 पदकों पर बाजी लगेगी.
को का कहना है, "मैं खुद को राहत में महसूस कर रहा हूं. हालांकि हमारे पास अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं. हमें पता है कि यह एक मुश्किल काम है. आने वाले कुछ महीने बहुत आसान नहीं होने वाले हैं."
पूर्वी लंदन के एक खाली जगह को ओलंपिक पार्क में बदल दिया गया है. जहां तक वित्तीय क्षेत्र का सवाल है, आर्थिक मंदी के दौर में भी लंदन ने अच्छी खासी रकम जमा कर ली है. स्पांसरशिप के लिए करीब 70 करोड़ पाउंड इकट्ठा किए जा चुके हैं. को का कहना है, "मोंट्रियल के बाद ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में कभी भी ओलंपिक का आयोजन नहीं हुआ था."
हालांकि टिकट की वजह से ओलंपिक समिति को विवाद का सामना करना पड़ा. लोगों का कहना है कि मांग से बहुत कम टिकट जारी किए गए हैं. ब्रिटिश सरकार ने 9.3 अरब पाउंड का बजट ओलंपिक के लिए दिया है लेकिन अब आम लोगों से कहा जा रहा है कि हो सकता है कि बिल बढ़ने के बाद उन्हें ज्यादा टैक्स देना पड़े. ज्यादातर बोझ सुरक्षा को लेकर है. पहले तय था कि 10,000 सुरक्षाकर्मी सभी वेन्यू की सिक्योरिटी देखेंगे, जिनकी संख्या बढ़ा कर 23,700 कर दी गई है. इसके अलावा 12,000 पुलिसकर्मी सड़कों पर होंगे. 13,500 सैनिक भी तैनात होंगे और टेम्स नदी में एक युद्धपोत तैनात रहेगा.
लंदन में ओलंपिक होने की घोषणा के ठीक बाद जुलाई, 2005 में वहां आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके बाद सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है. आयोजकों के सामने चुनौती है कि शहर को बांधे बिना सुरक्षित खेल करा लिए जाएं.
जहां तक ओलंपिक समिति का सवाल है, कोई विवाद नहीं हुआ और न ही किसी स्टेडियम के बनने में देरी हुई क्योंकि ज्यादातर सुविधाएं पहले से ही मौजूद थीं. इससे पहले 2004 के एथेंस और 2008 के बीजिंग ओलंपिक से पहले कई तरह का हंगामा हुआ था. अलबत्ता डाऊ केमिकल को स्पांसर बनाने को लेकर भारत में जरूर चिंता जताई गई. डाऊ ने यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीद लिया है, जिसके कारखाने में 1984 में भोपाल में जहरीली गैस रिसी थी.
कुल मिला कर लंदन का दावा है कि वह एक शानदार खेल देगा.
रिपोर्टः एपी/ए जमाल
संपादनः महेश झा