अमेरिका के दो चक्कर, एक साइकल पर एक पैदल
४ अगस्त २०११उन्हें दिन के चार बजे तक हर रोज साइकल से 280 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, जबकि कई बार तो तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. हौएकेमेस 80 दिनों में पूरे अमेरिका के दो चक्कर लगाएंगे. वह पहले साइकल और फिर पैदल इस सफर को पूरा करेंगे
वह 25 जून को न्यूयॉर्क से अपनी साइकल पर निकले और अब तक छह हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं. अभी तक वह अपनी योजना के मुताबिक ही चल रहे हैं. सितंबर में हौएकेमेस 60 साल के हो रहे हैं और उनका यह "कोस्ट2कोस्टऐंडबैक" प्रोजेक्ट खुद को जन्मदिन का तोहफा है.
खुद पर हैरान
हाल में एक टेलीफोन इंटरव्यू में हौएकेमेस ने कहा, "मैं खुद इस बात से हैरान हूं कि किसी तरह की शारीरिक समस्या नहीं हुई है. मुझे गर्दन में कोई समस्या नहीं है, घुटने भी चोटिल नहीं हुए और कमर में भी दर्द नहीं है." यह हौएकेमेस का अब तक का सबसे लंबा सफर है. वह कहते हैं, "इससे पहले मैंने सबसे ज्यादा 1800 किलोमीटर तक का सफर तय किया था."
उन्होंने इस अमेरिकी मैराथन यात्रा के लिए छह महीनों तक तैयारी की. वह बताते हैं, "मैं चार हजार किलोमीटर दौड़ा और 4,500 किलोमीटर साइकल चलाई." यह तैयारी उन्होंने दक्षिण जर्मनी में कोंस्टैंस झील के आसपास की जहां वह रहते भी हैं.
हौएकेमेस हर दिन औसतन साइकल से 280 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. अब तक जिस इकलौती समस्या से उनका सामना हुआ है, वह है गर्मी. मिसूरी से गुजरते वक्त वह अपने ब्लॉग में लिखते हैं, "आज मुझे ऐसा लगा कि जैसे भट्टी में साइकल चला रहा हूं. जब भी मैं रुकता तो अपने सिर पर ठंडा कपड़ा रखना पड़ता था."
खतरों का खिलाड़ी
उन्हें कोलोराडो के ऊंचाई वाले मैदानी इलाकों में 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाली गर्म हवाओं का सामना करना पड़ा. वह कहते हैं, "मैं बड़ी मुश्किल से साइकल पर खुद को संभाल पा रहा था." उन सड़कों पर चलना भी खतरनाक होता है जहां साइकल के लिए अलग से लेन नहीं है. हौएकेमेस बताते हैं, "यह काफी खतरनाक होता है जब कोई कैरेवैन आपके पास से 120 या 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गुजर जाती है. यह इतना तेज होता है कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं."
उन्हें कई ऐसी सड़कें भी मिलती हैं जिनकी हालत खस्ता है. हौएकेमेस अब भी उन्हीं टायरों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनके साथ उन्होंने न्यूयॉर्क से अपना सफर शुरू किया. रूट 66 पर कुछ किलोमीटर चलने के बाद उसके गड्ढों के चलते उन्हें अपनी साइकल में थोड़ी सी मरम्मत करानी पड़ी. वह हंसते हुए कहते हैं, "लेकिन ठीक है. आखिरकार यह ऐतिहासिक सड़क है."
दरअसल हौएकेमेस को 33 साल की उम्र में उस वक्त यह चस्का लगा जब उन्होंने नए साल की पूर्व संध्या पर एक दौड़ में हिस्सा लिया. 2004 में वह अलास्का में माइनस 42 तापमान में दौड़े. इसके अगले साल उन्होंने गर्म और धूप से खिले ऑस्ट्रेलिया को नापा.
है किसी में इतनी हिम्मत
हौएकेमेस ऐसे सफर पर निकले हैं जो अब से पहले शायद किसी ने तय नहीं किया होगा. उनकी बातों से कभी कभी ऐसा लगता है कि वह सिर्फ नजारों को देखने के लिए यह मुश्किल यात्रा कर रहे हैं. वह कहते हैं, "अगर मुझे कुछ दिलचस्प लगता है तो मैं रुक जाता हूं और फिर उसकी फोटो लेता हूं." ट्रक ड्राइवर रह चुके हौएकेमेस नावायो नेशन की मोन्यूमेंट घाटी से बहुत प्रभावित हुए जो ऊटाह और एरिजोना राज्यों की सीमा पर पड़ती है.
वह लिखते हैं, "मेरे चालक दल के सदस्यों का कहना है कि मैं साइकलिंग फोटोग्राफर हूं क्योंकि मैंने बहुत सी तस्वीरें ली हैं." उन्हें मीट स्टेक के अलावा शाम को चॉकलेट और बिस्किट खाना पसंद है. वह कहते हैं, "मेरा जो मन करता है, खाता हूं. मैं किसी स्पेशल डाइट के आधार पर नहीं चलता."
हौएकेमेस जल्द ही अपने साथियों और उनकी कैरेवैन के साथ सान डियागो पहुंचने वाले हैं. और फिर इसके बाद वापसी का पैदल सफर शुरू होगा. वह 11 सितंबर को वापस न्यूयॉर्क पहुंचना चाहते हैं जो अमेरिका पर आतंकवादी हमले की 10वीं बरसी होगी. वह अपनी यात्रा 9/11 में मारे गए लोगों और उनके परिजनों को समर्पित करना चाहते हैं. अगर उन्हें तय वक्त पर मंजिल को पाना है तो हर रोज 90 किलोमीटर दौड़ना होगा जो हर दिन दो मैराथन के बराबर है.
लेकिन वह यह सब क्यों कर रहे हैं. हौएकेमेस इसका जवाब अपनी वेबसाइट पर देते हैं, "क्योंकि किसी और में यह करने की हिम्मत नहीं है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा