'अमेरिका को गुमराह करता रहा पाकिस्तान'
२२ जुलाई २०११अमेरिकी सांसदों के पूछे एक सवाल के जवाब में सेना उप प्रमुख एडमिरल जेम्स ए विनेफेल्ट ने लिखित रूप से कहा है, "पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान में भारतीय या किसी और देश के प्रभुत्व को अस्तित्व से जुड़े खतरे के रूप में देखता है और इस खतरे का सामना करने के लिए उसने जो कदम उठाए हैं उसमें परमाणु हथियारों का विकास और गुरिल्ला युद्ध के लिए आतंकवादी गुटों को पालना शामिल है."
एडमिरल विनेफेल्ट ने साफ साफ कहा है, "पाकिस्तानी सेना भारत को खतरे के रूप में दिखा कर फायदा उठाती रही और सेना में ही कई ऐसे लोग हैं जो चरमपंथियों की सोच से सहानुभूति रखते हैं और इस सोच को आगे बढ़ा रहे हैं. इन गुटों ने अफगानिस्तान में सोवियत हमले के वक्त उनका डट कर मुकाबला किया था इसलिए सेना इन लोगों के प्रति वफादारी निभा रही है." पेंटागन का ये भी कहना है कि सेना के अधिकारी इन चरमपंथी गुटों को समर्थन देने और इन्हें सहन करने के लिए काम तो करते रहे लेकिन उनके हाथ में बस 'बाघ की पूंछ' ही है ऐसे में मुमकिन है कि उनके लिए उन पर पूरा नियंत्रण कर पाना संभव न हो.
पाकिस्तान एक मुश्किल साझीदार
संसदीय समिति के सामने अपनी कही बातों की पुष्टि के लिए हाजिर हुए विनेफेल्ट ने कहा, "मेरा मानना है कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान ने अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कई सालों पहले गुरिल्ला गुटों को इस्तेमाल करने के खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ा. इन हसरतों को वह अपने राष्ट्रीय हित से जुड़ा समझता रहा. इन गुटों में हक्कानी नेटवर्क भी शामिल है." विनेफेल्ट ने ये भी कहा है, "पाकिस्तान एक बहुत मुश्किल साझीदार है और हम सब ये बात जानते हैं. हम हमेशा एक तरह की दुनिया, एक तरह के विचार या एक तरह के राष्ट्रीय हित की बात नहीं सोचते." सांसदों के पूछे एक सवाल के जवाब में विनेफेल्ट ने कहा "मेरे विचार से हमें हर तरह से पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाते रहना चाहिए ताकि उन्हें हम यह समझा सकें कि हक्कानी नेटवर्क खुद उनके देश के लिए भी एक बड़ा खतरा है. इस खतरे को खत्म करने के लिए हमने जो कदम उठाने के लिए कहा है उन्हें अमल में लाया जाए ये खतरा सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं बल्कि अफगानिस्तान में हमारे लिए भी है. "
विनेफेल्ट ने हालांकि ये भी कहा कि सेना और नागरिक सरकार ने इस बात के सबूत दिए हैं कि वो उनकी सरकार को निशाना बना रहे चरमपंथी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम