अमेरिका ने पाकिस्तान से सेना वापस बुलाई
२६ मई २०११पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल डेव लेपन ने बताया कि कम से कम अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान में मौजूद हैं, जिन्हें वापस भेजने के लिए पाकिस्तान पिछले दो हफ्तों से मांग कर रहा है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने हाल ही में हमें लिखित में अपनी मांग भेजी. वह चाहता है कि देश में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी को कम किया जाए. हमने इसे ध्यान में रखते हुए सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है." हालांकि लेपन ने यह नहीं बताया कि कितने सैनिकों को वापस बुलाया गया है.
बिन लादेन पर कार्रवाई
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पकिस्तान अमेरिका के साथ मिल कर काम कर रहा है. इसी के चलते अमेरिकी सैनिकों को खास तौर से पाकिस्तानी सेनाओं को सलाह और अल कायदा के खिलाफ ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया. 2 मई को अमेरिका की बिना पाकिस्तान को बताए की गई कार्रवाई के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आया है. कार्रवाई के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल अशफाक कियानी ने कहा कि यदि अमेरिका पाकिस्तान की जमीन पर दोबारा ऐसी कार्रवाई करता है तो इसका सीधा असर आपसी संबंधों पर पड़ सकता है. वहीं अमेरिका ने कहा कि जरूरत पड़ने पर दोबारा भी ऐसी कार्रवाई की जा सकती है.
डेविस मामला
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए काम करने वाले रेमंड डेविस के कांड के बाद भी पाकिस्तान ने अमेरिका से कम 15 से 20 सैनिकों को वापस बुलाने को कहा था. रेमंड डेविस पर आरोप था कि उन्होंने दो पाकिस्तानियों की गोली मार कर जान ले ली. महीनों तक चले मुकदमे के बाद रेमंड डेविस को मुआवजे के बदले में छोड़ दिया गया.
पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान
कई अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान पर दोहरा खेल खेलने का इल्जाम लगाया है. सांसदों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान को लम्बे समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए को आर्थिक मदद देता आया है, अब उसे रोक देना चाहिए. वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान का साथ देना नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसे अफगानिस्तान तक सेनाएं पहुंचाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: वी कुमार