पाकिस्तान में अमेरिका विरोधी पढ़ाई
२६ मई २०११पाकिस्तान के डॉन अखबार में इस केबल के प्रकाशित होने के बाद अमेरिका का पाकिस्तान सेना के प्रति अविश्वास और बढ़ सकता है. इस्लामाबाद में अमेरिका की राजदूत रहीं एनी पैटरसन ने नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की ओर इशारा करते हुए 2008 में यह केबल लिखा. अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद पाकिस्तान, अमेरिका के साथ कथित आतंक के खिलाफ जंग में शामिल हो गया लेकिन उस पर आरोप भी लगते रहे हैं कि वह दोहरा गेम खेल रहा है.
पैटरसन ने लिखा, "सैन्य अधिकारियों को जो सामग्री पढ़ाई जाती है वह अमेरिका के खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित है. इसमें अमेरिकी नीतियों और संस्कृति को गलत ढंग से पेश किया जाता है और छात्रों के मन में संदेह पैदा किया जाता है." इसके विपरीत चीन से जुड़ी सभी बातों की प्रशंसा की जाती है. पैटरसन ने अपनी सिफारिश में लिखा कि पाकिस्तान सेना के कर्नल और ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारियों को अमेरिका के बारे में दूसरी राय को भी जानना चाहिए क्योंकि उन्हें पक्षपातपूर्ण तरीके से पढ़ाया गया है. इसके लिए डिफेंस यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को एक्सचेंज कार्यक्रम में भेजा जाना चाहिए.
आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को अमेरिका से पिछले एक दशक में 18 अरब डॉलर मिल चुके हैं. उस समय पाकिस्तान ने तालिबान के साथ संबंध तोड़ते हुए अमेरिका के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया. पाकिस्तान में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में तनाव पसरा है. पाकिस्तान के सामने जहां अमेरिका को यह समझाने की चुनौती है कि कैसे बिन लादेन इतने समय तक एबटाबाद जैसे सुरक्षित इलाके में रहा वहीं अमेरिका के खिलाफ पाकिस्तान की जनता में रोष बढ़ रहा है. इसकी वजह एकतरफा कार्रवाई और ड्रोन हमलों में तेजी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल