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अमेरिका ने शुरू किया फारसी में ट्विटर अकाउंट

१४ फ़रवरी २०११

अमेरिका ने ईरान के स्थानीय लोगों से संपर्क करने के लिए फारसी में ट्विटर अकाउंट बनाया है. ईरान के कड़े कानूनों के कारण यहां विदेशी और स्थानीय मीडिया के लिए स्वतंत्र रूप से काम करना मुश्किल साबित हो रहा है.

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तस्वीर: twitter.com

रविवार को यूएसए डार फारसी ट्विटर अकाउंट पर जारी अपने पहले संदेश में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने लिखा है," अमेरिका का विदेश मंत्रालय ईरान और दुनिया में सोशल नेटवर्क का महत्व समझता है. हम आपके साथ बातचीत करना चाहते हैं." अमेरिकी सरकार ईरान के लोगों तक अपने संदेश पहुंचाने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल करना चाहती है. अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवा वॉयस ऑफ अमेरिका हर दिन फारसी में रेडिया, टीवी और इंटरनेट पर समाचार और दूसरे कार्यक्रम प्रसारित करता है.

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मीर हुसैन मुसावीतस्वीर: rppirannews

ईरानी नेताओं का कहना है कि अमेरिका अपनी प्रसारण सेवा के जरिए इस्लामी रिपब्लिक ईरान को नीचा दिखाना चाहता है. ट्विटर पर जारी अपने संदेशों में अमेरिका ने ईरानी लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत न देने की आलोचना भी की है. विदेश मंत्रालय ने लिखा है,"विरोध प्रदर्शनों की अनुमति न देने का एलान कर उन्होंने ये दिखा दिया है कि मिस्र के लोगों के जिस कदम की वो सराहना कर रहे हैं वही कदम उनके अपने लोगों के लिए गैरकानूनी और नाजायज है. अमेरिका ईरान की सरकार से मांग करता है कि वो अपने लोगों को शांतिपूर्ण ढंग से जमा होकर प्रदर्शन करने और संवाद करने की इजाजत दे जैसा काहिरा में हुआ."

Iran Jahrestag der Revolution in Teheran Mahmud Ahmadinedschad
राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजादतस्वीर: AP

ईरानी सरकार ने विपक्षी नेता मीर हुसैन मुसावी और मेहदी करुबी की सोमवार को मिस्र और ट्यूनीशिया के समर्थन में रैली निकालने की मांग ठुकरा दी है. विपक्षी वेबसाइटों ने रविवार को एक बार फिर रैली के लिए अपील की और कहा कि सरकार लोकतंत्र समर्थकों की सरकार विरोधी प्रदर्शन को दबा रही है. मेहदी करुबी की वेबसाइट साहमन्यूज पर 18 ऐसे कार्यकर्ताओं का नाम छपा है जिन्हें हिरासत में लिया गया है.

विपक्षी पार्टियों की मुहिम फेसबुक और दूसरे सोशल नेटवर्किंग साइटों पर जोर पकड़ रही है. फेसबुक पर विरोध जताने के लिए बनाए गए फेसबुक पेज पर 48,000 से ज्यादा नाम जुड़ चुके हैं. ईरानी अधिकारी विपक्ष की मुहिम को विदेशी ताकतों की मदद से इस्लामी आंदोलन को कमजोर करने की साजिश बता रहे हैं. विपक्षी पार्टियां इन आरोपों से साफ इनकार करती हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़

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