अमेरिकी प्रतिबंधः भारत को राहत, चीन मझधार में
१२ जून २०१२अमेरिका का कहना है कि इन सातों देशों ने पिछले कुछ समय में ईरान से तेल आयात में कटौती की है और दिखाया है कि वे अमेरिका के रुख को समझते हैं. इस से पहले मार्च में यूरोपीय संघ और जापान को भी प्रतिबंध से बाहर किया गया था.
बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन वार्षिक बैठक में भारतीय आधिकारियों से मुलाकात करेंगी. यह फैसला बैठक से ठीक पहले आया है. जानकारों का मानना है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण फैसला है. भारत से इस बैठक में एसएम कृष्णा, कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद हिस्सा ले रहे हैं.
अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ले कर चिंतित है. अमेरिका का मानना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए कर रहा है. जबकि ईरान का कहना है कि इस से देश में ऊर्जा की समस्या हल हो सकेगी और कैंसर के रोकथाम में मदद मिलेगी. इसी के कारण पिछले साल अमेरिका ने यह फैसला लिया कि जो देश ईरान के साथ आर्थिक संबंध रखेंगे उनपर प्रतिबंध लगाया जाएगा. इसके लिए देशों को 28 जून की समय सीमा दी गई. इस दौरान ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम पर लगातार चर्चा चली. साथ ही हिलरी क्लिंटन ने कई देशों का दौरा कर उन्हें अमेरिका का रुख समझाने की भी कोशिश की. क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान भी ईरान का मुद्दा ही अहम रहा. भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि वह ईरान से तेल का आयात पहले ही काफी कम कर चुका है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म कर देना मुमकिन नहीं है. भारत आयात में ग्यारह प्रतिशत की कमी ला चुका है.
भारत की ही तरह चीन भी कच्चे तेल के लिए ईरान पर काफी निर्भर करता है. चीन को प्रतिबंध की सूची से बाहर रखना दोनों देशों के संबंधों पर चोट कर सकता है. अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका भी चीन से इस बारे में चर्चा कर रहा है. एक उच्च अमेरिकी अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमने अपने चीनी सहयोगियों को प्रतिबंधों की संवेदनशीलता के बारे में सूचित कर दिया है." अधिकारी ने कहा कि चीन के अलावा अन्य पांच देशों से भी इस मामले पर बात चल रही है. चीन के राष्ट्रपति हू जिनताओ ने ईरान से परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर लचीला और व्यवहारिक रुख अपनाने को कहा है.
आईबी,एएम (एएफपी,रॉयटर्स)