असद के समर्थन में अड़े रहे पुतिन
४ जून २०१२यूरोपीय संघ और रूस के बीच यह शिखर स्तरीय बातचीत का 29वां मौका था. अक्सर इस तरह के शिखर सम्मेलन ज्यादा दिलचस्प नहीं होते, लेकिन इस बार जब यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष खोसे मानुएल बारोसो और यूरोपीय परिषद के प्रमुख हर्मन फान रोमपॉय रूस के नए राष्ट्रपति से मिले तब दुनिया की नजरें इस सम्मेलन पर टिकी रहीं. वजह यह है कि कुछ साल प्रधानमंत्री रहने के बाद ब्लादिमीर पुतिन तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति बने हैं. यूरोपीय संघ उनके सत्ता से चिपके रहने के खिलाफ था, इसलिए अब सावधानी बरतते हुए साझा हितों पर जोर देने की कोशिश कर रहा है.
पुतिन ने ईयू की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि वह जल्द ही अपनी खोई हुई आर्थिक शक्ति वापस हासिल कर लेगा. उन्होंने यह भी कहा कि ईयू ने संकट से निपटने के लिए जो भी कदम उठाए हैं वे जरूर सफल साबित होंगे. लेकिन एजेंडे का सबसे मुश्किल मुद्दा सीरिया था.
असली मुद्धा सीरिया
सीरिया के मुद्दे को लेकर रोमपॉय ने कहा, "दोनों पक्षों के बीच सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के विशेष दूत कोफी अन्नान की शांति योजना के अलावा देश में गृहयुद्ध को खत्म करने का कोई विकल्प नहीं है." हालांकि रोमपॉय को यह भी कहना पड़ा कि "सीरिया संकट का मूल्यांकन करने के दोनों पक्षों के अलग अलग मापदंड हैं."
रूस चेतावनी दे चुका है कि सीरिया के उग्रवादियों की बाहर से मदद करना या लीबिया की तरह वहां सैन्य अभियान चलाना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. रूस ऐसे कदमों के पूरी तरह खिलाफ है. चीन भी रूस का साथ दे रहा है. माना जाता है कि बारोसो और रोमपॉय पुतिन को मनाना चाहते थे कि वह सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को लेकर अपना रुख तीखा करें. हालांकि ईयू को इस मुद्दे पर कोई सफलता नहीं मिली.
सीरिया में हाल बेहाल
कूटनीतिक कोशिशों से दूर सीरिया में हालात अब भी जस के तस बने हुए हैं. महीने भर पहले युद्ध विराम की मध्यस्थता करने वाले अन्नान कह रहे हैं कि सीरिया में हर दिन संघर्ष विराम की कोशिशों का उल्लंघन हो रहा है. शनिवार को 57 सैनिक मारे गए. यह पहला मौका है जब एक दिन में इतने सैनिक मारे गए हैं. देश के हूला शहर में 10 दिन पहले 100 से ज्यादा नागरिकों की हत्या कर दी गई. मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. आरोप है कि इस जनसंहार के पीछे असद समर्थित मिलिशिया हैं. असद इससे इनकार करते हैं. हालांकि हूला जनसंहार के बाद असद पर दबाव बढा है. सीरिया में बीते 15 महीनों से जारी गृहयुद्ध में अब तक करीब 9,000 नागरिक और 2,500 सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्ट है.
पीई/ओएसजे (एएफपी)