आखिर गद्दाफी गए कहां
७ सितम्बर २०११बुरकीना फासो की राजधानी ओआगादोउगु में एक महिला कहती है कि अफ्रीकी महिला के तौर पर मुझे लगता है कि गद्दाफी के पास एक संभावना होनी चाहिए कि वह किसी अफ्रीकी देश में शरण ले सकें. बुरकीना फासो पर भरोसा करने के लिए उनके पास कई कारण हैं.
ऐसा लगता है कि गद्दाफी पश्चिमी अफ्रीका के किसी देश की ओर निकल चुके हैं लेकिन नाइजीरिया पहुंचे किसी लीबियाई दल में वह नहीं थे. सोमवार से ही लीबिया से एक काफिला पश्चिम की ओर निकला है. कई जानकारों का मानना है कि इस तरह के काफिले गद्दाफी और उनके परिवार की पहचान हैं.
खतरनाक दोहरी नीति
राष्ट्रपति ब्लैस कांपोरे की सरकार ने दो हफ्ते पहले ही गद्दाफी को शरण देने का प्रस्ताव रखा था. दोनों नेताओं में एक समानता है और वह यह है कि कांपोरे भी पूर्व सैनिक हैं और सत्ता पलट कर गद्दी पर बैठे थे. लेकिन गद्दाफी के साथ ज्यादा दोस्ती सरकार के लिए ठीक नहीं है क्योंकि यह देश पश्चिमी देशों से भी हाथ मिलाए है.
बुरकीना फासो दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. संयुक्त राष्ट्र की विकास की सूची में इस देश का 169 में से 161वां नंबर है. विकास के लिए काफी मात्रा में यूरोपीय धन वहां जा रहा है. 2008 से 2010 के बीच सिर्फ जर्मनी से ही वहां साढ़े सात करोड़ यूरो सहायता राशि भेजी गई. इद्रिसा त्राओरे लोपिनियों साप्ताहिक अखबार की संपादक हैं. उनका मानना है कि गद्दाफी को शरण दी जानी चाहिए. वह कहती हैं अगर गद्दाफी शरण मांगते हैं तो उन्हें क्यों नहीं दी जाए.
बुरकीना फासो ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. और अगर इन समझौतों में कोई समस्या नहीं है तो इसमें भी कोई मुश्किल नहीं होगी कि गद्दाफी को बुरकीना फासो में शरण मिल जाए.
द हेग नाराज
अगर गद्दाफी सचमुच बुरकीना फासो आ जाते हैं तो सरकार को मुश्किल हो सकती है. बुरकीना फासो ने अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के एक अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं. इस कारण सरकार को गद्दाफी को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सौंपना होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय उनकी खोज कर रहा है. गद्दाफी का बेटा और उनके खुफिया प्रमुख भी गद्दाफी की तलाश में हैं. और गद्दाफी के वहां होने की स्थिति में विकास सहायता रुक सकती है.
बुरकीना फासो या किसी भी अफ्रीकी देश के लिए शरण देने की स्थिति में दबाव बहुत ज्यादा रहेगा और वह इस दबाव को सह सकता है या नहीं यह एक बड़ा सवाल होगा. जिम्बाब्वे जैसे देश गद्दाफी के लिए ज्यादा ठीक साबित हो सकते हैं क्योंकि जिम्बाब्वे ने अधिकतर पश्चिमी देशों से अपने संबंध तोड़ दिए हैं.
रिपोर्टः डानिएल पेल्ज/आभा एम
संपादनः वी कुमार