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लीबिया में नई शुरुआत का बिगुल

१ सितम्बर २०११

लीबिया में तानाशाही का अंत हुआ और पश्चिमी देशों ने चैन की सांस ली. पैरिस में ठीक उसी दिन लीबिया के लोकतांत्रिक भविष्य पर चर्चा हुई जिस दिन 42 साल पहले 27 वर्षीय मुअम्मर गद्दाफी ने राजा को हटा कर सत्ता पर कब्जा किया था.

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निकोला सारकोजीतस्वीर: picture alliance/dpa

1 सितंबर का सांकेतिक महत्व है. लीबिया की जनता के लिए भी और पश्चिमी देशों के लिए भी. 42 साल से हर साल इस दिन राजधानी त्रिपोली में क्रांति दिवस मनाया जाता था, इस साल समारोह नहीं हुआ. तैयारी थी ग्रीन स्क्वैयर पर गद्दाफी का विशाल कार्ड बोर्ड लगाने की, लेकिन इस बीच ग्रीन स्क्वैयर शहीद स्क्वैयर में बदल चुका है और त्रिपोली पर विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है और क्रांतिकारी वे हो गए जिंहोंने निरंकुश हो गए पुराने क्रांतिकारियों को खदेड़ दिया है.

शहीद चौक पर लोग पहुंचे थे लेकिन गद्दाफी के शासन की वाहवाही करने नहीं बल्कि इस उम्मीद में कि कई दिनों से बंद बैंक खुलेंगे. विद्रोह की आंधी में बहुत लोगों के पास कैश समाप्त हो गया है. लेकिन उन्हें लोकतंत्र की नई उम्मीद मिली है. परंपरागत गलाबिया पहने एक व्यक्ति कहता है, "हम आजाद हैं, धन इतना महत्वपूर्ण नहीं." लेकिन लाइन में खड़ी महिलाओं की आंखों में संशय है. पैसा नहीं होगा तो वे बच्चों को क्या खिलाएंगी, खाने की मेज पर क्या परोसेंगी.

NO FLASH Konferenz der Freunde Libyens in Paris
सारकोजी और क्लिंटनतस्वीर: dapd

जीवन सामान्य नहीं

पिछले दिनों में त्रिपोली में सुरक्षा बढ़ी है. वह अधिक सुरक्षित हो गया है, लेकिन जीवन अभी भी सामान्य नहीं हुआ है. सड़कों पर कूड़ा जमा हो रहा है जिसे कोई नहीं हटा रहा. घरों में पानी नहीं है. बिजली फिर मिल रही है और मोबाइल फोन भी चालू हो गए हैं. पानी और खाने का सामान मिल रहा है, लेकिन बहुत महंगा हो गया है.

शहर में सुरक्षा बहाल करने की कोशिश हो रही है. विद्रोही हमलों के अंतिम दिनों में बहुत से लोगों ने छोड़े गए सैनिक अड्डों से पिस्तौल और बंदूकें चुरा ली है. लीबिया के कार्यकर्ता शहर में पोस्टर चिपका कर लोगों से हथियार वापस करने की अपील कर रहे हैं. त्रिपोली में रहने वाला एक अल्जीरियन रेस्तरां मालिक कहता है, "लीबिया के लोग हथियारों के पीछे पागल हैं."

Libyen Familie Gaddafi Flash-Galerie
गद्दाफी और पत्नीतस्वीर: AP

गद्दाफी का समर्थन सिमटा

सिटी सेंटर में बुरगिबा चौक भी शांत पड़ा है. आमतौर पर वहां हर कोने में जाने वाले टैक्सियों और मिनी बसों की रेलमपेल होती है. लेकिन इन दिनों वहां भी कूड़े के ढेर दिखते हैं. एक टैक्सी है जो 120 किलोमीटर दूर अल खुम्स जा रही है. तेल कारखाने में काम करने वाले अतिया पकुरी वहां जा रहे हैं, अपने परिवार से मिलने. वह त्रिपोली से 160 किलोमीटर दूर बानी वालिद से होकर आए है जो गद्दाफी समर्थकों का अंतिम गढ़ है. गद्दाफी के वहीं छुपे होने की अटकलें हैं. पकुरी बताते हैं, "वहां के लोग सचमुच उसका समर्थन करते हैं. उसने उनके साथ बेहतर व्यवहार किया लेकिन उन्हें पता नहीं कि उसने और क्या किया है."

भगोड़े लीबियाई नेता गद्दाफी ने एक लंबे संघर्ष की चेतावनी दी है जो लीबिया में आग लगा देगा. अल अरबिया के अनुसार एक ऑडियो संदेश में गद्दाफी ने कहा है कि सिर्ते और बानी वालिद में उनके समर्थक हथियारों से लैस हैं और उन्हें धमकाया नहीं जा सकता. गद्दाफी ने अपने समर्थकों से लड़ने की अपील की है, लेकिन पैरिस का सम्मेलन दुनिया को एक मंच पर साथ ला रहा है. और देश विद्रोही परिषद को मान्यता दे रहे हैं. प्रतिबंध उठाए जा रहे हैं. सम्मेलन एक नए लीबिया की शुरुआत का बिगुल है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: आभा एम

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