आसमान से दिखे 17 नए पिरामिड
२५ मई २०११सैटेलाइट से ली गई इन्फ्रा रेड तस्वीरों से कुल मिलाकर 1000 प्राचीन मकबरों और लगभग 3 हजार प्रागैतिहासिक बस्तियों का पता चला है, जो इन इलाकों में जमीन के नीचे दबे हैं. प्रारंभिक खुदाई के बाद इनमें से दो पिरामिडों के अवशेष दिखाई देने लगे हैं.
पूरा हुआ सपना
अमेरिका के अलाबामा प्रदेश के बर्मिंघम में अंतरिक्ष संस्था नासा की ओर से प्रायोजित एक लैबरेटरी में इस सिलसिले में काम किया गया है. स्पेस आर्कियोलॉजी की इस परियोजना में प्रमुख भूमिका निभाने वाली डॉ. सारा पारसाक का कहना है कि किसी पिरामिड का पता लगाना हर पुरातत्वविद का सपना होता है.
उन्होंने कहा, "हम एक साल तक इस क्षेत्र में गहन अध्ययन करते रहे. लेकिन मेरे लिए चमत्कार का मुहूर्त तब आया, जब मैं आराम से बैठकर सारा काम देख सकी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि हमें मिस्र इतनी सारी साइट्स का पता चल चुका है."
तीन हजार साल पुराना घर
धरती से 700 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित सैटेलाइटों से ये तस्वीरे ली गई थीं. इनके लिए जिन शक्तिशाली कैमरों का इस्तेमाल किया गया, वे एक मीटर के व्यास तक बारीक तस्वीरें लेने के काबिल हैं. धरती के नीचे की चीजों का पता लगाने के लिए इन्फ्रा रेड तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
तस्वीरों से पता चला कि मिस्र के प्राचीन निवासी घरों और पिरामिडों के निर्माण के लिए जिस मिट्टी का इस्तेमाल करते थे, वह स्थानीय मिट्टी से कहीं कम बलुही है. सैटेलाइट तस्वीरों के अध्ययन के अलावा इस टीम ने मिस्र के सक्करा क्षेत्र में सरजमीन पर खोज भी की. यहां खुदाई के बाद उन्हें तस्वीरों में दिखे एक मकान के अवशेष मिले, जिसकी उम्र तीन हजार साल आंकी गई है.
रिपोर्टे: एजेंसियां/उभ
संपादन: वी कुमार