इंटरनेट की गहराई से मिटते नहीं हैं राज
१ अगस्त २०११किसी पार्टी में आपने भरपूर मस्ती की और उसकी तस्वीरें या विडियो आपके दोस्त या दुश्मन ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर डाल दीं. उनमें कुछ ऐसी भी होंगी जो आपको सबको न दिखाना चाहें. हालांकि स्कूल कॉलेज की पढ़ाई के दौरान इस बात की परवाह कम ही रहती है. लेकिन ये तस्वीरें या विडियो आपके भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं. और तब अगर आपने इन्हें हटाना चाहा तो यह काम आसान नहीं होगा.
आज की मस्ती कल की परेशानी
इंटरनेट कुछ भी नहीं भूलता. बेशक, यह बेशकीमती सूचनाओं का विशाल भंडार है. पर साथ ही यहां शर्मिंदा करने वाली तस्वीरों, वीडियो और बयानों का भी ढेर है. किशोरों के लिए यह एक भविष्य की एक बड़ी समस्या बन सकता है, खासतौर पर जब वे नौकरियां खोजने निकलेंगे.
अगर कोई चाहे भी कि अपनी इन अनचाही यादों से छुटकारा पा लिया जाए तो यह काम लगभग असंभव है. जर्मनी के सेंटर फॉर एडवांस सिक्योरिटी रिसर्च के निदेशक योहानेस बुषमान कहते हैं कि जिस वेबसाइट पर डाटा सेव किया जाता है वह न सिर्फ वहां रहता है बल्कि सर्च इंजन के जरिए उसे कभी भी खोजा भी जा सकता है. यानी अगर आपने कोई डाटा कहीं से डिलीट भी कर दिया तो वह सर्च इंजन के जरिए किसी और जगह कॉपी पेस्ट किया जा सकता है.
कैसे मिलेगा छुटकारा
फिर भी, कोई तो तरीका होगा इससे छुटकारा पाने का. कंप्यूटर मैगजीन नेक्स्ट के होल्गर ब्लाइष की सलाह है कि सबसे पहले तो आप उस आदमी के पास जाइए जिसने आपका अनचाहा डाटा इंटरनेट पर डाला है. उसे कहिए डाटा को डिलीट कर दे. ब्लाइष कहते हैं, "अगर वहां से आपको संतोषजनक जवाब न मिले तो आप इस मामले के जानकार वकील के पास जाएं." ब्लाइष कहते हैं कि इस अनचाहे डाटा के बारे में अपना पक्ष इंटरनेट पर डालना भी एक हल है.
बच्चों के शोषण जैसे कुछ खास मामलों में सरकारी एजेंसियां भी मददगार हो सकती हैं. डाटा प्राइवेसी का कम देखने वाली ये एजेंसियां निजी डाटा को भी काबू कर सकती हैं. मसलन अगर किसी ने आपकी मर्जी के बिना आपका फोन नंबर या तस्वीरें इंटरनेट पर डाल दी हैं तो साइबर क्राइम सेल आपकी मदद कर सकता है. जर्मनी के राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफालिया में डाटा सिक्योरिटी एंड इन्फॉर्मेशन फ्रीडम ऑफिस के अधिकारी निल्स श्रोएडर कहते हैं, "हम कंपनियों या वेबसाइट को डाटा डिलीट करने के लिए लिखित में आदेश दे सकते हैं."
सावधानी सबसे जरूरी
वैसे इंटरनेट पर लोगों के बीते वक्त की सफाई का काम आजकल एक पेशा भी बन चुका है. कुछ कंपनियां हैं जो लोगों की रेप्युटेशन मैनेजमेंट यानी छवि सुधारने का काम करती हैं. वे कुछ फीस लेकर इंटरनेट की सफाई कर देती हैं. लेकिन नेक्स्ट ने अपने एक टेस्ट में बताया है कि ये कंपनियां भी वहीं से सफाई करती हैं जहां पहुंचना बहुत आसान हो. लेकिन इंटरनेट तो अथाह सागर है और उसकी गहराइयों में छिपे राज जाने कब सतह पर आ जाएं.
इसलिए ब्लाइष का मशविरा है कि प्रभावित लोग खुद इस काम को करें. कानूनी मदद तो प्रभावशाली तरीका है ही, इसके अलावा कुछ सॉफ्टवेयर हैं जो इंटरनेट से तस्वीरें डिलीट कर सकते हैं. मसलन एक्स-पायर नाम का सॉफ्टवेयर एक निश्चित समय के बाद ऑनलाइन इमेज हटा सकता है. लेकिन यह भी गारंटी नहीं दे सकता कि कहीं किसी एक पेज पर लुकी छिपी कोई अनचाही तस्वीर भविष्य में सामने नहीं आ जाएगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन