ईरानी तेल पर ईयू का प्रतिबंध लागू
१ जुलाई २०१२ईरान के तेल मंत्री रोस्तम कासमी ने प्रतिबंधों को कमतर करने की कोशिश की है और उसे दशकों के प्रभावहीन प्रतिबंधों में ताजा सजा बताया है. ईरानी नेता बार बार कहते रहे हैं वे पश्चिमी देशों और सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के बावजूद अपना विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम जारी रखेंगे.
तेल बाजार पर नजर रखने वाली संस्थाओं और विश्लेषकों का कहना है कि तेल की खरीद पर रोक और अमेरिका द्वारा लगाए गए वित्तीय प्रतिबंध ईरान के तेल निर्यात को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे सरकारी आमदनी का आधा हिस्सा आता है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि मई में ईरान का तेल निर्यात गिर कर 15 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है. यह ईरान के हर रोज 21-22 लाख बैरल तेल बेचने के दावे से बहुत कम है.
सरकार के दावे
ईरान की इसना समाचार एजेंसी के अनुसार तेल मंत्री कासमी ने रविवार को कहा है, "प्रतिबंधों का ईरान पर कोई असर नहीं हुआ है और होगा भी नहीं. मैं हमारे दुश्मनों द्वारा शुरू किए प्रतिबंधों में कोई समस्या नहीं देखता, क्योंकि ये कई सालों से हैं और कुछ भी नहीं हुआ है." कासमी ने स्वीकार किया है कि प्रतिबंधों से यूरोपीय संघ के देशों में बिक्री गिरी है लेकिन उनका कहना है कि दूसरे देशों ने ज्यादा खरीदना शुरू कर दिया है. कासिमी के अनुसार ईरान ईयू के देशों को 18 फीसदी तेल बेचता था, जिसके लिए ग्राहक पाना मुश्किल नहीं है.
ईरान के इन दावों की जांच संभव नहीं है क्योंकि उसने अपने 39 टैंकरों पर लगे अनिवार्य लोकेशन ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि ज्यादातर टैंकर बंदरगाहों में हैं और उनका इस्तेमाल चार करोड़ बैरल तेल को जमा रखने में किया जा रहा है, जिंहें बेचा नहीं जा सका है. प्रतिबंधों से पहले ईरान यूरोप को प्रतिदिन 60 हजार बैरल तेल बेचता था जबकि उसका दो तिहाई निर्यात चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को होता है. अमेरिका ने इन देशों को गुरुवार से लागू प्रतिबंधों से छूट दे दी है, जिसमें ईरान के साथ कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों को निशाना बनाया गया है.
ईरान ने कहा है कि वह यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है. मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार केंद्रीय बैंक के गवर्नर महमूद बहमनी ने कहा है कि ईरान इसका सामना करने के लिए कार्यक्रमों को लागू कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों का सख्त असर हो रहा है लेकिन ईरान ने उसका सामना करने के लिए 150 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बना लिया है. यूरोपीय आंकड़ों के अनुसार प्रतिबंधों के कारण ईरानी रियात की दर गिरी है और मुद्रास्फीति 20 फीसदी हो गई है. दसियों हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं और यूरोप के साथ ईरान का कारोबार एक साल के अंदर आधा हो गया है.
ईयू के प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने ईरानी तेल के आयात पर नए सौदों पर जनवरी से प्रतिबंध लगा दी थी लेकिन पुराने सौदों को पहली जुलाई तक जारी रखने की अनुमति दी थी. प्रतिबंध ईरानी तेल के परिवहन और टैंकरों की बीमा करने पर भी है. ईरान से तेल खरीदने वाले गैर ईयू देशों की प्रमुख समस्या टैंकरों के बीमा की है, क्योंकि 90 फीसदी से ज्यादा टैंकरों का बीमा यूरोपीय बीमा कंपनियों के साथ है जो अब ईरानी कंपनियों के साथ सौदा नहीं कर सकते. चीन टैंकरों का अपनी कंपनियों से बीमा कराता है. यूरोपीय संघ के प्रतिबंध ईरान पर अपने विवादित परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए दबाव डालने की प्रक्रिया के सबसे ताजा हथियार हैं.
पश्चिमी देशों को डर है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने का इरादा रखता है. जबकि उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. इस समय सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों और जर्मनी के साथ ईरान की परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत चल रही है. तीन दौर की विफल वार्ता के बाद उसे विशेषज्ञों के स्तर का कर दिया गया है. यह बातचीत मंगलवार को इस्तांबुल में होगी.
ईरान के परमाणु वार्ताकार सईद जलीली ने गुरुवार को यूरोपीय संघ को एक पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि ईयू और अमेरिका के प्रतिबंधों का वार्ता पर असर होगा. ईरान ने पहले अपने परमाणु संयंत्रों पर हवाई हमले की स्थिति में हॉरमुज स्ट्रेट को बंद करने की धमकी भी है. इस रास्ते का इस्तेमाल तेल के परिवहन के लिए किया जाता है. उस चेतावनी के बाद तेल की कीमत बढ़ा कर 128 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, लेकिन सउदी अरब द्वारा उत्पादन बढ़ाने और यूरोप में कर्ज संकट के कारण मंदी के डर से वह फिर से 100 डॉलर के नीचे चली गई है.
एमजे/आईबी (एएफपी,रॉयटर्स)