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ईरान पर नए प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश

१ जनवरी २०१२

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने की मंजूरी दे दी है. प्रतिबंध लागू हुए तो उनका सीधा असर ईरान के वित्तीय और तेल क्षेत्र के अलावा भारत पर भी पड़ेगा. ईरान ने इसे अनुचित करार दिया.

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तस्वीर: dapd

ओबामा ने एक ऐसे कानून पर दस्तखत किए हैं जिसमें ईरान के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. शनिवार को ओबामा ने 662 अरब डॉलर के रक्षा खर्च विधेयक पर दस्तखत किए. विधेयक में इन प्रतिबंधों का जिक्र है. नए प्रतिबंधों का सीधा असर तेहरान के बैंकों और तेल उद्योग पर पड़ेगा.

प्रतिबंध लगे तो दुनिया भर के वित्तीय संस्थानों के सामने अमेरिका या ईरान में से किसी एक को चुनने की चुनौती होगी. सभी देशों के केंद्रीय बैंकों पर अमेरिकी प्रतिबंध का असर पड़ेगा. अगर विदेशी बैंकों ने ईरान के सेंट्रल बैंक या तेल उद्योग से ताल्लुक रखा तो उनका अमेरिकी वित्तीय बाजार में काम करना कठिन हो जाएगा.

इन प्रतिबंधों का असर ईरान के अलावा भारत पर भी पड़ सकता है. भारत ईरान से तेल आयात करता है. दोनों देशों के बीच भुगतान को लेकर समस्याएं आ रही हैं. नई दिल्ली और तेल व्यापार जारी रखना चाहते हैं लेकिन वित्तीय लेन देन कैसे हो यह दोनों की समझ में नहीं आ रहा है.

Der Persische Golf, Satellitenbild
फारस की खाड़ीतस्वीर: picture-alliance/dpa

इन्हें ईरान के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े अमेरिकी प्रतिबंध कहा जा रहा है. पहले लगाए प्रतिबंध ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित थे. उनका मकसद परमाणु ऊर्जा उद्योग से जुड़ी कंपनियों को ईरान के साथ व्यापार करने से रोकना था.

नए अमेरिकी प्रतिबंध अगले छह महीने तक प्रभाव में नहीं आएंगे. वॉशिंगटन देखना चाह रहा है कि ईरान अपने रुख में क्या बदलाव करता है. प्रतिबंधों की वजह से अमेरिका को भी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच अगर तेल की कीमतें ऊपर गईं तो वॉशिंगटन पर उल्टा दबाव पड़ने लगेगा.

ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों को अनुचित करार दिया है. ईरान के चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख मोहम्मद नाहवानदियान ने कहा, "ऐसे प्रतिबंध व्यर्थ और अनुचित हैं. इनकी वजह से सभी को नुकसान होगा और वैश्विक बैंकिंग सिस्टम ज्यादा कमजोर होगा. पहले भी प्रतिबंध ईरान को व्यापार करने से नहीं रोक सके. इस मामले में भी ईरान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कोई न कोई रास्ता ढूंढ ही लेगा."

कुछ ही दिन पहले ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर उसके खिलाफ इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए तो होर्मुज जलमार्ग को बंद कर देगा. होर्मुज जलमार्ग फारस की खाड़ी में है. दुनिया के एक तिहाई तेल टैंकर इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि अब तेहरान के रुख में कुछ नरमी आ रही है. रविवार को ईरानी नौसेना के कमांडर ने कहा कि होर्मुज जलमार्ग को बंद नहीं किया जाएगा. ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत बहाल करने की इच्छा भी जताई है.

रिपोर्ट: डीपीए, एएफपी, एपी/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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