'ब्रिटिश दूतावास पर हमला भारी पड़ सकता है ईरान को'
३ दिसम्बर २०११ईरान के आईआरएनए न्यूज एजेंसी ने अयातोल्लाह नासेर माकारेम शिराजी के हवाले से कहा, "इस बात में कोई शक नहीं है कि ब्रिटेन ईरान के सबसे पुराने दुश्मनों में से है, लेकिन युवा क्रांतिकारियों को कानून अपने हाथों में नहीं लेनी चाहिए."
माना जा रहा है कि अयातोल्लाह शिराजी के इस बयान के जरिए ईरान के सरकारी अधिकारी मामले से अपने आप को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं. ब्रिटेन के दूतावास पर हमला करने वाले लोग राष्ट्रपति अहमदीनेजाद की सत्ता के समर्थक माने जा रहे हैं. हमले के कुछ ही देर बाद ईरान के विदेश मंत्रालय ने अपनी आपत्ति जताई थी लेकिन संसद के अध्यक्ष अली लारजानी ने हिंसा को सही बताते हुए कहा कि यह ब्रिटेन की "दबंग नीति" को सही जवाब था.
अयातोल्लाह शिराजी के बयान के साथ पहली बार ईरान के किसी अधिकारी ने मामले पर औपचारिक बयान दिया है. उन्होंने शासन का समर्थन कर रहे कार्यकर्ताओं के बारे में कहा, "मैं उन्हें सलाह दूंगा कि वे हमारे सर्वोच्च नेता और अधिकारियों की अनुमति के बिना कुछ भी न करें." इससे पहले शुक्रवार को, ईरान से लौटे ब्रिटिश राजदूत डॉमिनिक चिलकॉट ने ब्रिटेन की मीडिया से बात करते हुए कहा कि दूतावास पर हमला, "प्रशासन के समर्थन और सहयोग के बिना होना असंभव था."
उधर अयातोल्लाह शिराजी ने अपने समर्थकों को सलाह दी है कि वे सतर्क रहें क्योंकि अगर इस तरह की कुछ और घटनाए होती हैं, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरान के खिलाफ और प्रतिबंध लागू करने के लिए बहाना मिल जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि मध्यपूर्व एशिया में ईरान पड़ोसी देशों के मामलों और वहां की राजनीतिक स्थिति समझ सकता है.
इस हफ्ते यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका ने ईरान के खिलाफ कई नए प्रतिबंध लागू करने के फैसले लिए जिस वजह से ईरान के युवाओं में ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के खिलाफ बुरी भावना बढ़ने की आशंका है. शनिवार को फ्रांस ने घोषणा की कि वह तेहरान में अपने दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम करेगा. इस बीच तेहरान में काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय मीडिया के पत्रकारों से कहा गया है कि वे ब्रिटेन के खिलाफ और ईरानी सरकार के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर खबरें न छापें.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः एन रंजन