उत्तर कोरिया के रॉकेट से तनाव
१ दिसम्बर २०१२2012 में यह दूसरा मौका होगा जब कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया सैटेलाइट छोड़ेगा. उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी ने शनिवार को कहा कि सैटेलाइट 10 से 22 दिसंबर के बीच छोड़ी जाएगी. सैटेलाइट छोड़ने का सीधा मतलब है कि यह लंबी दूरी तक जाने वाले रॉकेट के जरिए ही छोड़ी जाएगी. उत्तर कोरिया इसी साल अप्रैल में भी ऐसी कोशिश कर चुका है जो असफल रही.
उत्तर कोरिया के ताजा एलान के बाद इलाके में तनाव पसर रहा है. दक्षिण कोरिया ने रॉकेट प्रक्षेपण को 'गंभीर चिंता' बताया है. इस पहल को उत्तर कोरिया के युवा शासक किंग जोंग उन के शक्ति प्रदर्शन की कोशिश भी माना जा रहा है. शुक्रवार को उन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से प्योंगयांग में मुलाकात की और अगले ही दिन रॉकेट प्रक्षेपण का एलान कर दिया. दुनिया में चीन ही उत्तर कोरिया का एक मात्र बड़ा राजनीतिक समर्थक है. बीजिंग ने उत्तर कोरिया के रॉकेट लॉन्च पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है.
उधर दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक चिंता भरा बयान जारी किया. बयान में लॉन्च को बहुत ही 'भड़काऊ कदम' कहा गया है और इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चुनौती बताया. जापान के प्रधानमंत्री योशिहिको नोदा ने भी अपने मंत्रालयों को सतर्क रहने को कहा है.
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर पीस अफेयर्स के सीनियर रिसर्चर चांग योंग-सिओक कहते हैं, "रॉकेट लॉन्च के जरिए उत्तर कोरिया चीन को बताना चाहता है कि वह स्वतंत्र राष्ट्र है और वह यह भी देखना चाहता है कि क्या अमेरिका उसके प्रति बैर की नीति बंद करता है."
परमाणु परीक्षण के बाद से ही उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. उस पर मिसाइल परीक्षण करने की पाबंदी भी लगाई गई है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया को शंका है कि शांतिपूर्ण उपग्रह कार्यक्रम के नाम पर उत्तर कोरिया लंबी दूरी की मिसाइल टेस्ट करता है. उत्तर कोरिया पर परमाणु हथियार ढोने में सक्षम अतंरमहाद्वीप मिसाइल कार्यक्रम चलाने के आरोप भी हैं.
विश्लेषकों का अंदाजा है कि ऐसे परीक्षणों के जरिए प्योंग्यांग दिखाना चाहता है कि वह भी दुनिया में है और उसे नजरअंदाज न किया जाए.
कयास लगाए जा रहे हैं कि रॉकेट लॉन्च 17 दिसंबर को हो सकता है. साल भर पहले इसी दिन किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल का निधन हुआ. 2.3 करोड़ आबादी वाले उत्तर कोरिया के पास 12 लाख सैनिक हैं.
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान कोरिया पर जापान ने आक्रमण किया और धीरे धीरे कोरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. कोरिया पर जापान का नियंत्रण द्वितीय विश्वयुद्ध के खात्मे के साथ समाप्त हुआ. द्वितीय विश्वयुद्घ के दौरान उत्तर कोरिया में सोवियत संघ की सेना तैनात थी और दक्षिण में अमेरिका की. हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका के परमाणु हमले ने महायुद्ध तो समाप्त कर दिया लेकिन यहीं से सोवियत संघ और अमेरिका के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हुई. जर्मनी के अलावा कोरिया भी शीत युद्ध का अखाड़ा बना. 1948 में दो कोरियाई राज्यों का उदय हुआ. सोवियत संघ के प्रभाव वाला उत्तर कोरिया और अमेरिका के प्रभाव वाला दक्षिण कोरिया. 1950 में साम्यवादी उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला भी कर दिया. युद्ध तीन साल तक चला और कोरिया के एकीकरण के सारे ख्वाब बिखर गए.
1953 तक चले युद्ध के बाद दोनों देशों में शांति समझौता कराया गया. समझौते के बाद भी तनाव बना रहा. एक तरफ उत्तर कोरिया जहां वामपंथी शासन को मजबूत करता रहा वहीं दक्षिण ने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का रास्ता अपनाया. बीते छह दशकों में दक्षिण कोरिया दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया, लेकिन इस दौरान उत्तर और दक्षिण कोरिया के मतभेद और बढ़ते गए.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)