एशिया में उच्च पदों पर पुरुषों का दबदबा
१ जुलाई २०१२कंसलटेंसी कंपनी मेककिंजी की नई रिपोर्ट के अनुसार एशिया में उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या "असामान्य रूप से" कम है. एक सर्वेक्षण में एशिया प्रशांत क्षेत्र के दस बाजारों का आकलन किया गया. कुल 744 कम्पनियों में किए गए सर्वेक्षण में देखा गया कि बोर्ड सदस्यों में महिलाओं की संख्या औसतन केवल छह प्रतिशत ही है. अमेरिका में यह संख्या पंद्रह प्रतिशत और यूरोप में सतरह प्रतिशत है.
एशियाई कंपनियों में सीनियर मैनेजरों के वर्ग में महिलाओं की संख्या आठ फीसदी है. यह भी यूरोप और अमेरिका के दस और चौदह प्रतिशत से कम है. "वुमन मैटर" नाम की इस रिपोर्ट में महिलाओं की इस कम संख्या को ले कर चिंता जताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह प्रतिभा की बर्बादी है क्योंकि एशिया में ग्रेजुएटों में आधी महिलाएं हैं. और यह एक ऐसा नुक्सान है जिसे एशिया की कंपनियां नहीं उठा सकती क्योंकि उस इलाके में उच्च पदों पर महिला मैनेजरों की भारी कमी है."
शादी या नौकरी
भारत इस सूची में काफी नीचे है. ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग और चीन सूची में सबसे ऊपर हैं. वहां प्रबंधक बोर्ड में तेरह, नौ और आठ फीसदी महिलाएं काम करती हैं. जबकि भारत के साथ दक्षिण कोरिया और जापान में सबसे कम महिलाओं को ऐसे पदों पर देखा गया. जापान नीचे से दूसरे स्थान पर है. वहां केवल दो प्रतिशत महिलाएं ही इन पदों पर हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान में कम से कम साठ फीसदी महिलाएं शादी के बाद नौकरी बदल या छोड़ देती हैं. भारत में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. वहां उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या पांच फीसदी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और सिंगापुर में महिलाओं पर पेशे और परिवार का उतना दबाव नहीं है जितना भारत या जापान में है, "ऐसा दोहरा बोझ यूरोप में भी महिलाओं को परेशान करता है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि एशियाई महिलाओं के लिए यह बहुत अधिक है. ऐसा इसलिए भी है कि एशिया में सरकार की ओर से शिशु पालन को ले कर समर्थन नहीं है." रिपोर्ट की लेखिका क्लाउडिया जुइसमूथ-डायकरहोफ ने अपनी रिपोर्ट में सरकारों से मलेशिया जैसे देशों से सीख लेने की अपील की है जहां महिलाओं के लिए कोटा रखा गया है और सरकार महिलाओं की उन्नति के लिए खास कार्यक्रम चला रही है.
आईबी/एमजे (एएफपी)