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ओलंपिक में हॉकी के नए नियम

२३ जुलाई २०१२

चार दशक पहले घास के मैदान से गीले एस्ट्रो टर्फ पर आई हॉकी में अब एक और बड़ा बदलाव हो रहा है. लंदन ओलंपिक में पहली बार अंपायर के फैसले से संतुष्ट न होने पर टीमें वीडियो अंपायर से अपील कर सकेंगी.

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तस्वीर: dapd

अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ (एफआईएच) के मुताबिक टीमें हर मैच में (सिर्फ एक बार) वीडियो रेफरल की मांग कर सकेंगी. यह मांग फील्ड अंपायर के जरिए की जाएगी. एफआईएच की वेबसाइट के मुताबिक, "ओलंपिक खेलों में पहली बार लंदन में रेफरल को शामिल किया गया है. हर टीम को एक टीम रेफरल की अनुमति है. यह मांग मैच अंपायर के जरिए की जाएगी. यह मैच के दौरान किसी भी वक्त की जा सकती है, अतिरिक्त समय में भी. लेकिन शूट आउट के दौरान रेफरल नहीं मांगा जा सकता. शूट आउट में सिर्फ अंपायर ही अपनी इच्छा से रेफरल ले सकता है."

टीम रेफरल के लिए कुछ शर्तें भी हैं. गोल के 23 मीटर के दायरे में ही टीम रेफरल मांगा जा सकता है. पेनल्टी स्ट्रोक और पेनल्टी कॉर्नर में भी इसकी मांग की जा सकती है. लेकिन पेनल्टी शूट आउट के दौरान होने वाले विवाद पर टीमें रेफरल नहीं मांग सकतीं. पेनल्टी शूट आउट में विवाद होने पर सिर्फ फील्ड अंपायर रेफरल मांग सकता है.

एफआईएच की वेबसाइट के मुताबिक यह नियम पुरुष और महिला हॉकी में लागू होंगे. इससे पहले 2008 में बीजिंग ओलंपिक में अंपायर रेफरल शुरू किया गया. तब शक होने पर सिर्फ अंपायर बाहर से मदद ले सकता था, टीमें नहीं. अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ का कहना है, "वीडियो अंपायर को पहली बार बीजिंग ओलंपिक में इस्तेमाल किया गया. तब सिर्फ अंपायर के पास रेफरल मांगने का अधिकार था. यह अंपायर रेफरल लंदन में भी लागू रहेगा. किसी तरह का संदेह होने पर अंपायर रेफरल अंपायर से पूछ सकेगा. अपनी संतुष्टि के हिसाब से ही वह फैसले को बदलेंगे. कोई गोल देंगे या किसी गोल को खारिज करेंगे. इस दौरान यह भी देखा जाएगा कि 23 मीटर के दायरे में किसी खिलाड़ी ने किसी तरह का फाउल तो नहीं किया."

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भारत की उम्मीदें संदीप, शिवेंद्र और गगनदीप परतस्वीर: Reuters

वीडियो रेफरल की अपील करने के लिए खिलाडियों को फील्ड अंपायर की तरफ देखकर हाथ और हॉकी से 'टी' बनाना होगा. इसके बाद अंपायर वीडियो अंपायर से पूछेगा कि मैदान पर मौजूद कैमरों के जरिये क्या इस अपील को माना जा सकता है. वीडियो अंपायर के सुझाव के बावजूद आखिरी फैसला फील्ड अंपायर का होगा. वेबसाइट में कहा गया है, "अगर कैमरों का सही एंगल नहीं मिला, रीप्ले में बॉल नहीं दिखी, फुटेज से संतुष्टी न हो, कुछ तकनीकी गड़बड़ी हो या रीप्ले के बावजूद फैसला लेने में दुविधा हो तो टीमों के पास रेफरल मांगने का अधिकार बचा रहेगा."

वीडियो रेफरल अंपायरिंग का जिम्मा ब्रिटेन की फर्म हॉक आई को दिया गया है. हॉक आई तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले क्रिकेट में किया गया. क्रिकेट में हॉक आई तकनीक सफल साबित होने के बाद इसे टेनिस और फुटबॉल में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि फुटबॉल में इसे सिर्फ आंकड़े जुटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

लंदन ओलंपिक में भारत समेत 12 देश हॉकी के मुकाबले में हैं. पुरुषों के मुकाबले 30 जुलाई से 11 अगस्त तक होंगे. भारतीय टीम ग्रुप बी में जर्मनी, बेल्जियम, कोरिया, नीदरलैंड्स और न्यूजीलैंड के साथ है. ग्रुप ए में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, अर्जेंटीना, ग्रेट ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका हैं. भारत का पहला मैच 30 जुलाई को नीदरलैंड्स से है. उसके बाद भारत को न्यूजीलैंड और फिर बीजिंग ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट टीम जर्मनी से भिड़ना है.

ओएसजे/एजेए (पीटीआई)

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