औद्योगिक उत्पादन घटा, मुखर्जी की चिंता बढ़ी
१२ जनवरी २०११अक्टूबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 11.29 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नंबवर तक की अवधि में औद्योगिक वृद्धि 9.5 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 7.4 प्रतिशत था. बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नवंबर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत हो गई. एक साल पहले यह वृद्धि 12.3 प्रतिशत थी. नवंबर में गैर टिकाऊ वस्तुओं की मैन्युफैक्चरिंग में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसमें 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
वैसे पूंजी उत्पाद सेक्टर में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जो एक साल पहले 11 प्रतिशत थी. मैन्युफैक्चरिंग के अलावा खनन में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं बिजली उत्पादन में 1. 8 प्रतिशत के मुकाबले 4.6 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सिर्फ 2.7 प्रतिशत हो जाने और उच्च मुद्रास्फीति के कारण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है. उन्होंने उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाने का वादा किया है. मुखर्जी ने कहा, "अगर औद्योगिक उत्पादन घटता है और मुद्रास्फीति बढ़ती रही तो इसका बुरा असर होगा. हमें देखना होगा और आने वाले महीनों में उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे."
अगर देश का औद्योगिक उत्पादन कम होता है तो रिजर्व बैंक के सामने भी दुविधा होगी कि वह मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए ब्याज दरें बढ़ाए या नहीं. 25 जनवरी को तिमाही नीति की समीक्षा होगी. उससे पहले महंगाई को रोकने के प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर से बातचीत कर रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा