कड़े कानून की तैयारी में भारत
३० दिसम्बर २०१२बलात्कार के बाद उपजे गुस्से को देखते हुए भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए कड़ा कानून बनाने की तैयारी हो रही है. गठबंधन सरकार की मुख्य पार्टी कांग्रेस कड़ा कानून के पक्ष में हैं. कानून के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
कांग्रेस जो अध्यादेश का प्रस्ताव बना रही है, वह जस्टिस वर्मा की अगुवाई वाली समिति को सौंपा जाएगा. समिति कड़ा कानून का अंतिम प्रस्ताव तैयार करेगी. कांग्रेस के प्रस्ताव में बलात्कारियों को नपुंसक बनाने का सुझाव भी दिया जा सकता है. नपुसंक बनाने के लिए रसायनिक तरीकों का सहारा लेने पर भी बात हो रही है.
प्रस्ताव में यह भी कहा है कि बलात्कार के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएं. तीन महीने के भीतर अदालत की प्रक्रिया पूरी हो. दोषियों को 30 साल की सजा दी जाए. इन प्रस्तावों पर 23 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने चर्चा हुई.
बलात्कार के मामलों के लिए कड़ा कानून बनाने में राष्ट्रीय सलाहकार समिति की भी मदद ली जाएगी. सूत्रों के मुताबिक महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने शुक्रवार को कई सुझावों पर चर्चा करते हुए लंबी बैठकें की हैं.
सरकार ने मौजूदा कानून में बदलाव करने के लिए जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई है. इस समिति ने आम लोगों से भी अपील की है कि वे अपने सुझाव दें. समिति की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है:
सुझाव दें
"दिल्ली में एक युवा महिला के बलात्कार और पाश्विक आक्रमण की हाल की घटना ने राष्ट्र की आत्मा को झकझोर दिया है. इससे महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को बचाने के वर्तमान कानूनों की अपर्याप्तता के बारे में न्यायविदों, समाज के सदस्यों और महिला समूहों के बीच गंभीर बहस शुरू हो गई है.
सरकार ने वर्तमान कानूनों की समीक्षा की आवश्यकता को गंभीरता से लिया है, ताकि यौन-उत्पीड़न के गंभीर मामलों में शीघ्रता से न्याय दिलाया जा सके और अपराधियों को कड़ा दंड दिया जा सके. केन्द्र सरकार ने इस उद्देश्य के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति(सेवानिवृत) श्री जे.एस.वर्मा की अध्यक्षता में 23 दिसम्बर, 2012 को एक समिति गठित की है. इस समिति के दो अन्य सदस्य हैं; (क) हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्रीमती लीला सेठ. (ख) सुप्रसिद्ध न्यायविद और भारत की बार कॉउंसिल के पूर्व अध्यक्ष, भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल श्री गोपाल सुबह्मण्यम.
समिति 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. आम जनता और खासकर सुप्रसिद्ध न्यायविदों, विधिवेताओं, गैर-सरकारी संगठनों, महिला समूहों और समाज के सदस्यों से आग्रह किया गया है कि वे आपराधिक कानूनों और संबद्ध अन्य कानूनों में संभावित संशोधन सुझाने के लिए इस समिति को अपने विचारों, ज्ञान और अनुभव से अवगत करायें, ताकि महिलाओं के प्रति यौन-उत्पीड़न के गंभीर मामलों के आरोपियों की तेजी से जांच करके मुकदमा चलाया जा सके और कड़ा दंड देने व्यवस्था की जा सके.
सुझाव ई-मेल [email protected] पर या 0091-11-23092675 पर फैक्स करके भेजे जा सकते है.
ये सुझाव 5 जनवरी, 2013 तक भेजे जाने चाहिए, ताकि समिति निर्धारित समय में आवश्यक सिफारिशों के साथ अपना काम पूरा करके रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके."
वैसे भारत में कई कानून बहुत कड़े हैं, बशर्ते पुलिस बिना राजनीतिक या प्रभावशालियों के दबाव के उन्हें अमल में लाए. अक्सर कई मामलों में आरोपी सबूतों के अभाव में छूट जाते हैं. पुलिस की जांच ही कमजोर हो तो कड़ा कानून भी कारगर नहीं होगा.
ओएसजे/एजेए (पीटीआई)