कत्ल का पन्ना पलटना चाहते हैं तालाबानी
१८ नवम्बर २०१०तालाबानी ने कहा है कि वह कभी तारिक अजीज की सजा के आदेश पर दस्तखत नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "नहीं, मैं ऐसे आदेश में दस्तखत नहीं करूंगा क्योंकि मैं एक समाजवादी हूं." फ्रांस के समाचार चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मुझे तारिक अजीज से सहानुभूति है क्योंकि वह एक इराकी ईसाई हैं. वह 74 साल के बुजुर्ग हैं. इसलिए मैं उनकी फांसी के आदेश पर कभी दस्तखत नहीं करूंगा."
अजीज को 26 अक्टूबर को फांसी सजा सुनाई गई. पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के सहयोगी रहे तारिक अजीज पर 1980 के दशक में शिया धार्मिक दलों के दमन का आरोप है. उन पर इराकी कुर्द लोगों के दमन के भी आरोप हैं. राष्ट्रपति तालाबानी भी इसी समुदाय के हैं.
हालांकि तारिक अजीज की इस फांसी को रोकने के लिए दुनियाभर से अपील की जा रही हैं. यूरोपीय संघ, रूस और वेटिकन इराक के इस ईसाई नेता को फांसी न देने की अपील की है. 74 साल के अजीज की तबीयत काफी खराब है. वह अप्रैल 2003 में समर्पण के बाद से जेल में हैं.
अजीज को 1983 में विदेश मंत्री बनाया गया. 1991 में वह उप प्रधानमंत्री बन गए. माना जाता है कि सद्दाम हुसैन के शासन में हुई ज्यादतियों पर पर्दा डालने में बढ़िया अंग्रेजी बोलने वाले अजीज ने अहम भूमिका निभाई.
अजीज की फांसी में तालाबानी का रुकावट बनना वहां के संविधान के मुताबिक तो जायज है. संविधान के हिसाब से फांसी की सजा को राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है. यानी हो सकता है कि अजीज फांसी से बच जाएं. लेकिन कुछ लोग इसे अलग से निगाह से देख रहे हैं. उनका कहना है कि बुधवार को ही दोबारा पद पर बिठाए गए राष्ट्रपति तालाबानी ईसाई मुल्कों के दबाव में ऐसा कर रहे हैं. हालांकि वह पहले भी कह चुके हैं कि वह मौत की सजा के खिलाफ हैं. लेकिन उन्होंने इस मामले में जो बदले की हिंसा को रोकने की बात जोड़ी है, उसने उनके इनकार के दायरे को फैला दिया है.
तालाबानी ने कहा, "मुझे लगता है कि वध का यह पन्ना पलटने के जरूरत है. हालांकि अवर लेडी ऑफ परपेचुअल हेल्प के कैथेड्रल या शिया समुदाय के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के मामले में ऐसा नहीं है."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन