सुन्नी धड़े द्वारा संसद का बहिष्कार
१२ नवम्बर २०१०आठ माह पहले हुए संसद के चुनाव में किसी भी राजनीतिक खेमे को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. प्रमुख दलों के बीच लंबी खींचातानी के बाद एक सहमति हुई थी. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इयाद अलावी के नेतृत्व वाले इराकिया खेमे के सांसदों ने मांग की कि इस सहमति के मुताबिक उनके तीन वरिष्ठ नेताओं को चुनाव में भाग लेने का मौका दिया जाए, सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी के साथ कथित संबंधों के कारण जिन पर प्रतिबंध लगाया गया है.
मांग पूरी न होने पर लगभग 60 सदस्य संसद की बैठक से बाहर चले गए. तीनों प्रतिबंधित नेताओं में से एक सालेह अल मुतलक ने प्रेस के सामने कहा कि सदिच्छा प्रदर्शन के बावजूद समझौते का आदर न किए जाने के कारण वे संसद के सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गारंटी मिलने के बाद ही वे संसद में लौटेंगे.
इराकिया का कहना है कि सरकार गठन में उनका सहयोग चार शर्तों पर निर्भर करता है. पहली बात की एक सुरक्षा परिषद का गठन किया जाए. इसके अलावा राजनीतिक बंदियों के मामले पर विचार के लिए एक समिति का गठन होना चाहिए, सत्ता के बंटवारे के समझौते की लिखित रूप से पुष्टि होनी चाहिए और उनके तीन नेताओं पर प्रतिबंध समाप्त होना चाहिए.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से कहा गया है कि वे इराकी नेताओं से बात कर रहे हैं, ताकि सभी पक्षों के बीच सहयोग के आधार पर एक नई सरकार का गठन हो सके.
सोल में जी 20 शिखर भेंट के दायरे में उनके दफ्तर के एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ओबामा ने सुन्नी धड़े के नेता इयाद अलावी से बात की है और वे प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी से भी बात करने वाले हैं. संसद की अगली बैठक शनिवार को होने वाली है. प्रधानमंत्री मलिकी के पास सरकार गठन के लिए 30 दिनों का समय है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एस गौड़