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कागजी किताब खत्म होने की चिंता

१० अक्टूबर २०१२

क्या छपी हुई किताबों का अंत नजदीक है. जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला लगा है, जिसमें बहस होगी कि इंटरनेट के युग में प्रकाशन को कैसे बचाए रखा जाए.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

100 से ज्यादा देशों के 7,300 प्रदर्शक जब एक दो दिन के लिए साथ आते हैं तो बहस के लिए वक्त कम पड़ता है, खास कर मामला जब किताबों का हो. फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में 10 से 14 अक्टूबर के बीच करीब तीन लाख लोगों के आने की उम्मीद है.

डिजिटल होती दुनिया में अभी भी इस पुस्तक मेले की अहमियत बनी हुई है. यह दुनिया की सांस्कृतिक विविधता दिखाने वाला बड़ा मेला माना जाता है. आज की तारीख में भी छपी हुई किताब लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. भले ही इसे बार बार नए प्रतियोगियों से टक्कर मिलती रहती हो.

किताबों की दुकान

इस शाखा की स्थिति अच्छी नहीं है. पिछले साल जर्मन किताब उद्योग ने 10 अरब यूरो का व्यापार किया. सात साल में पहली बार ऐसा हुआ कि यह आंकड़ा कम हुआ है. आज भी किताबों की दुकान से ही सबसे ज्यादा किताबें खरीदी जाती हैं. लेकिन बढ़ता ट्रेंड है कि जर्मनी में लोग लगातार इंटरनेट से ऑनलाइन किताब खरीद रहे हैं. कई प्रकाशकों का अस्तित्व खतरे में है.

सबसे बड़ी मुश्किल है ईबुक. लगातार ऐसे लेखकों की संख्या बढ़ रही है जो छपी छपाई किताब के साथ डिजिटल किताब भी जारी करते हैं. वह अपने किताबों का टेक्स्ट खुद ही इंटरनेट पर जारी कर देते हैं.

Messegelände in Frankfurt am Main
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यह सब फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले की बहस का एक हिस्सा है. एक बड़े जर्मन अखबार ने लिखा है कि इंटरनेट छपी हुई किताब की संस्कृति और डिजिटल संस्कृति के बीच का बड़ा पुल है. इसमें कोई सवाल ही नहीं है कि डिजिटल किताब का युग अभी शुरू हो रहा है. हालांकि यह यात्रा कहां खत्म होगी इस बारे में लोगों के विचार एकदम अलग अलग हैं. कुछ तथ्य एकदम साफ हैं, एक तो जर्मनी में किताब खरीदने वाले लोगों की संख्या कम होगी.

अमेजॉन जैसे इंटरनेट पुस्तक भंडारों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. बड़ी बड़ी किताबों की दुकानें खत्म होने की कगार पर हैं. छोटी किताबों की दुनिया भी अपने अंत की ओर है. इलेक्ट्रॉनिक किताबें किसी भी फॉर्म में हों उनकी संख्या तेजी से बढ़ेगी. बाकी सब अटकलें हैं.

बच्चों की किताबें

फ्रैंकफर्ट में करीब 3000 कार्यक्रम होने वाले हैं. 1000 लेखक भी इस दौरान आने वाले हैं. इसमें रिचर्ड फोर्ड, साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता जर्मनी की हैर्था म्यूलर या मार्टिन वाल्सर जैसे बड़े नाम शामिल हैं. किताबों के भविष्य सहित हर संभव विषय पर बहस होगी. 2012 की विशेष किताबों में बच्चों और किशोरों की किताबें खास रहेंगी. पुस्तक मेले के निदेशक युर्गन बॉस कहते हैं, "कहीं और डिजिटल मीडिया और छपी किताबों को इस तरह एक साथ नहीं रखा जाता. कॉमिक्स किताबों का महत्व भी बढ़ रहा है."

Frankfurter Buchmesse 2012
पुस्तक मेले का अतिथि देश न्यूजीलैंड

अमेरिका में तो ईबुक और सेल्फ पब्लिशिंग से काफी पैसे कमाए जा रहे हैं. जर्मनी में अभी भी पारंपरिक किताबों का बाजार बड़ा है. जर्मन प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेता संघ के अध्यक्ष अलेक्सांडर स्किपिस कहते हैं, "हर किताब की दुकान अमेजॉन से कहीं ज्यादा कर सकती है. उसे ग्राहकों के साथ ऑनलाइन शॉप के जरिए संपर्क बनाना होगा. तभी किताब की दुकानें बड़ी कंपनियों की प्रतियोगिता से टकरा सकती हैं."

उन्होंने कहा, "प्रकाशक संघ ने हाल में एक प्रतियोगिता की थी, उसमें जीतने वाले आइडिया का मूल मंत्र था, जो किताब फेसबुक, फिल्म और कंप्यूटर गेम्स के साथ खुद को जोड़ती है वह जीतेगी. इस ब्रांच में भी मल्टिमीडिया में काम लगातार अहम होता जा रहा है."

अमेरिका जैसे

क्या जर्मनी में भी अमेरिका की तरह विकास होता है. यह तो एक दो साल में ही पता चल सकेगा. डिजिटल किताबों की दुनिया के सारे सपने अभी पूरे नहीं होंगे, तेजी से तो निश्चित ही नहीं. अभी ईबुक कुल बिक्री का सिर्फ एक या दो प्रतिशत ही है. ईबुक के लिए जो गैजेट बाजार में हैं उन्होंने जर्मन पाठकों को बहुत ज्यादा आकर्षित नहीं किया है. टैबलेट पीसी या स्मार्टफोन, किंडल या अमेजॉन के रीडिंग पैड की जगह ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं.

हालांकि डिजिटल चुनौती पारंपरिक किताबों की दुनिया के लिए एक बड़ा झटका है. पुराने प्रकाशकों को नए रास्ते अपनाने की जरूरत है. डिजिटल दुनिया में बहस का एक बड़ा हिस्सा एमआरपी और कॉपी राइट का भी है. अभी भी प्रकाशित होने वाली किताबों की संख्या बढ़ रही है. जर्मनी में पिछले साल 82,000 किताबें छपीं. अभी तो छत मजबूत है.

इस साल पुस्तक मेले का अतिथि देश न्यूजीलैंड है. इस देश के करीब 70 लेखक पुस्तक मेले में आएंगे.

रिपोर्टः योखेन कुएर्टन/एएम

संपादनः ए जमाल

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