काम के तनाव में ज्यादा खाती हैं महिलाएं
१४ मार्च २०१२यह बात फिनलैंड में हुए एक रिसर्च में सामने आई है. इस शोध के नतीजे अमेरिकी जरनल क्लिनीकल न्यूट्रीशन में छपे हैं. शोध के मुताबिक बहुत ज्यादा काम के कारण थके हुए लोग भी इमोशनल ईंटिंग का शिकार हो जाते हैं. या फिर तनाव, गुस्सा और थकान होने पर खाने की तरफ रुख करते हैं. शोध में सामने आया है कि इस तरह खाने वाले लोग अक्सर खाते ही जाते हैं. तनाव या भावनात्मक अस्थिरता के कारण हमेशा भूख लगी होती है और लोग खाना तब तक बंद नहीं करते जब तक प्लेट में रखा खाना खत्म नहीं हो जाए.
फिनलैंड में ऑक्यूपेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट की नीना नेवानपेरा कहती हैं, "जो लोग बर्न आउट के मारे हैं उन्हें इस तरह अनियंत्रित खाने की परेशानी होने की सबसे ज्यादा आशंका होती है. उन्हें इन आदतों में बदलाव लाने में भी मुश्किल होती है. हमने सलाह दी है कि पहले बर्न आउट का इलाज होना चाहिए और मोटापे की समस्या सुलझाने के लिए खाने की आदतों पर काम होना चाहिए."
नेवानपेरा के नेतृत्व में हुए इस शोध में 230 महिलाओं का परीक्षण किया गया. इनमें से 30 ऐसी थीं जो स्वस्थ्य जीवन शैली पर चल रहे एक अन्य कार्यक्रम का हिस्सा थीं. यह सभी महिलाएं नौकरी कर रही थीं.
22 प्रतिशत महिलाओं को किसी हद तक बर्नआउट की परेशानी थी. इस ग्रुप में इमोशनल ईटिंग वाली परेशानी ज्यादा थी. ये महिलाएं किसी तरह साल भर तक अपने खाने पर नियंत्रण कर पाईं लेकिन उसके बाद बदलाव संभव नहीं हुआ.
मैसेचुसेट्स में मेडिकल स्कूल की असोसिएट प्रोफेसर शेरी पैगोटो कहती हैं, "काम हमारे जीवन पर छाया रहता है. लोग ऐसा काम कर रहे होते हैं जहां वे खुश नहीं हैं या फिर अपनी शादी से खुश नहीं हैं. ऐसी स्थिति में खाना ही उनके जीवन का इकलौता आनंद होता है."
हालांकि बर्नआउट के कारण महिलाओं के वजन पर फर्क पड़ता हो इसका कोई सबूत नहीं है. बर्न आउट से परेशान महिलाएं सामान्य तौर पर मोटी नहीं होती. लेकिन ये वही महिलाएं होती हैं जिनका शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है.
शोध के अनुसार एक मुश्किल यह है कि बर्न आउट से परेशान महिलाएं सेब की जगह चॉकलेट खाना पसंद करती हैं, जो लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. ये बात महिलाओं पर जितनी लागू होती है उतनी ही पुरुषों पर भी, हालांकि यह शोध सिर्फ महिलाओं पर किया गया है.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः महेश झा