काम पर वापसी : कैंसर रोगियों की मुश्किलें
२९ अप्रैल २०११थकान, आत्मविश्वास की कमी, फिर से बीमार होने का डर और बीमारी के लिए सजा भुगतने का डर. वैज्ञानिकों के अनुसार ये सब वे मुश्किलें हैं जिनका सामना कैंसर के रोगियों को नौकरी पर वापस लौटने के बाद करना पड़ता है. एक अध्ययन के लिए पूछे जाने पर एक पूर्व कैंसर रोगी ने कहा, "मैंने सोचा था जिस दिन मैं वापस काम पर जाऊंगा, सब कुछ पीछे छोड़ चुका होऊंगा." लेकिन मनो-समाजशास्त्री मोनिक सेवेलेक चेतावनी देती हैं, "कुछ भी वैसा नहीं रहता है जैसा पहले था."
थकान और नींद
गुरुवार को ही प्रकाशित फ्रांस के क्यूरी संस्थान की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर के उपचार के बाद काम पर लौटने वाले 61 फीसदी कामगार जल्दी थक जाते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार 41 फीसदी नींद में खलल के शिकार होते हैं जबकि 33 फीसदी को एकाग्रता और कमजोर याददाश्त की समस्या हो जाती है. फिर से काम पर लौटने वाले कैंसर रोगियों में 14 फीसदी नियमित दर्द की शिकायत करते हैं तो छह फीसदी गंभीर अवसाद से पीड़ित रहते हैं.
मोनिक सेवेलेक ने 2005 और 2006 में फ्रांस की राजधानी पैरिस के उन 402 कैंसर रोगियों में से 42 के साथ बात की जो उपचार के बाद काम पर लौटे और उन्होंने संस्थान के अध्ययन में हिस्सा लिया.
हालात समझना जरूरी
क्यूरी संस्थान के बैर्ना असेलाँ का कहना है कि खासकर अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पहले जैसा ही प्रदर्शन करें, "जैसे कि कुछ हुआ ही न हो." शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर रोगियों के सहकर्मी अक्सर उनकी हालत को समझ नहीं पाते. उनका रवैया कुछ ऐसा होता है कि "या तो तुम पूरी तरह यहां हो या एकदम नहीं हो."
असेलाँ का कहना है कि काम पर वापसी की जितनी ठीक से तैयारी हो उतना अच्छा होगा. उनका कहना है कि रोगियों को काम पर वापसी के बारे में कैंसर विशेषज्ञ और दफ्तर के डॉक्टर के साथ बात करनी चाहिए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार