काहिरा में ताजा गोलीबारी, चार लोगों की मौत
३ फ़रवरी २०११मिस्र में 10 दिन से जारी सरकार विरोधी मुहिम ने अब हिंसक रूप ले लिया है. लाखों लोग सड़कों पर उतर कर 30 साल पुरानी राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की सत्ता के अंत की मांग कर रहे हैं. राजधानी काहिरा का तहरीर चौक इस विरोध का केंद्र बन गया.
वहां मौजूद एक डॉक्टर ने बताया कि सुबह चार बजे यह गोलीबारी शुरू हुई जिसे टीवी पर लाइव देखा गया. एक चश्मदीद ने अल जजीरा चैनल को बताया, "यह मैदान ए जंग बन गया है." लेकिन प्रदर्शनकारी मुबारक के हटने तक अपनी मुहिम को जारी रखने की बात पर कायम हैं.
लगभग एक घंटे चली गोलीबारी के बाद टीवी पर प्रसारित तस्वीरों में दो शवों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है. सरकार विरोधी और सरकार समर्थक एक दूसरे पर पथराव भी कर रहे हैं. घटनास्थल से धुआं भी उठता हुआ देखा गया. दिन निकलने से ठीक पहले सेना के वाहनों को भी सड़क पर तैनात होते देखा गया लेकिन प्रदर्शनकारियों और मुबारक समर्थकों में झड़प जारी रही.
इससे पहले बुधवार को भी राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों की झड़प में तीन लोग मारे गए हैं. ऊंटों और घोड़ों पर सवार राष्ट्रपति के समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों पर पेट्रोल बम और डंडों से हमला किया.
सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने भी जवाब में पथराव किया. उनका कहना है कि हमलावर कोई और नहीं बल्कि सादे कपड़ों में पुलिस को लोग ही थे. हालांकि देश के गृह मंत्रालय ने इस आरोप को खारिज किया है. मिस्र की सरकार ने इन अंतरराष्ट्रीय अपीलों को भी खारिज किया है कि 30 साल से मिस्र के राष्ट्रपित पद पर कायम मुबारक को सत्ता छोड़ देनी चाहिए. मंगलवार की रात मुबारक ने एलान किया कि वह सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे और जो भी चुनाव जीतेगा, उसे सत्ता सौंप दी जाएगी.
ओबामा ने की बात
ट्यूनिशिया में सत्ता परिवर्तन से प्रेरित मिस्र के लाखों लोग हफ्ते भर से सड़कों पर सरकार विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं और वह मुबारक के तुरंत इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. मंगलवार को राष्ट्र के नाम मु्बारक के संदेश के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनसे बात की और कहा कि मिस्र में बदलाव की प्रक्रिया तुरंत शुरू होनी चाहिए. मिस्र में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक लगभग 140 लोगों की मौत हो चुकी है.
बुधवार को काहिरा में हुई झड़प पर अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह साफ है कि मुबारक के समर्थकों ने ही ऐसा किया है ताकि प्रदर्शनकारियों को उकसाया जा सके. जब यह झड़प हो रही थी तो सैनिक और टैंक भी सड़कों पर ही मौजूद थे. प्रदर्शनकारियों पर हमला करने वाले पुलिसकर्मी हों या फिर आम लोग, लेकिन इससे 8 करोड़ की आबादी वाले मिस्र में सत्ता विरोधी मुहिम में एक नया मोड़ आ गया है.
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख नवी पिल्लई ने कहा है कि मिस्र में सत्ता विरोधी मुहिम के दौरान मरने वालों की संख्या 300 तक हो सकती है. उनके प्रवक्ता ने कहा कि अपुष्ट मौतों का यह आंकड़ा मिस्र में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र के गैर सरकारी संगठनों की तरफ से दी गई जानकारी पर आधारित है.
अपील बेअसर
बुधवार को रात होते ही मिस्र के उपराष्ट्रपति ओमर सुलेमान ने काहिरा के तहरीर चौक पर जमा लगभग दो हजार प्रदर्शनकारियों से वहां से चले जाने और कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए लगाए गए कर्फ्यू का पालन करने को कहा. सुलेमान ने कहा कि सुधारवादियों और विपक्षी गुटों के साथ बातचीत की शुरुआत सड़कों पर जारी विरोध प्रदर्शन रुकने पर निर्भर करती है.
लेकिन प्रदर्शनकारियों पर सुलेमान की अपील का कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने मु्बारक समर्थकों को रोकने के लिए तहरीर चौक की घेराबंदी कर ली. तलवार और चाकू लिए मुबारक के आक्रामक समर्थकों को देखने वाले अहमद माहेर नाम के व्यक्ति ने रॉयटर्स को बताया, "अगर सेना ने हस्तक्षेप नहीं किया तो इस जगह पर बड़ी मार काट होने वाली है."
अधिकारियों का कहना है कि बुधवार को हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि घटनास्थल पर मौजूद डॉक्टरों के मुताबिक डेढ़ हजार लोग घायल हुए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार