कुत्तों की दवा से इलाज
१५ फ़रवरी २०१४त्रिचुरिस त्रिचिओरा या व्हिपवर्म से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है. यह परजीवी कीड़ा इंसान की बड़ी आंत को अपना घर बना लेता है और फिर जिद्दी किराएदारों की तरह वहां जम कर बैठ जाता है. अक्सर मिट्टी में छुपे हुए ये व्हिपवर्म वहां खेलते हुए बच्चों के सम्पर्क में आते हैं और उन्हें संक्रमित कर देते हैं. इसके अलावा भारत जैसे विकासशील देश में साफ पानी और शौचालयों के न होने से ये कीड़े ज्यादा फैलते हैं.
आम दवाओं से बेहतर
स्विट्जरलैंड के बाजेल शहर में स्थित वैज्ञानिकों को एक असरदार दवा हाथ लग गई है. स्विस ट्रॉपिकल एंड पब्लिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने तंजानिया में राउंडवर्म से संक्रमित स्कूली बच्चों का एक खास दवा से इलाज किया. उन्होंने बच्चों को ऑक्सांथेल पामोएट नाम का एक सक्रिय तत्व दिया जो बहुत से देशों में कुत्तों के कीड़े मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. असर यह हुआ कि सिर्फ एक टेबलेट लेते ही 31 फीसदी बच्चों का संक्रमण दूर हो गया. इस स्टडी के मुख्य लेखक बेन्यामिन श्पाइष बताते हैं, "भले ही यह आंकड़ा बहुत शानदार न सुनाई दे रहा हो लेकिन असल में यह सामान्य दवाओं के मुकाबले काफी असरदार है."
बहुत से अफ्रीकी देशों में आम तौर पर स्कूली बच्चों में कीड़ों के इलाज के लिए आल्बेंडाजोल और मेबेन्डाजोल नाम की दवाएं प्रचलित हैं. एक ओर ये दवाएं हुकवर्म और बड़े बड़े राउंडवर्म से तो छुटकारा दिला देती हैं, लेकिन दूसरी ओर व्हिपवर्म पर ज्यादा असर नहीं करतीं. श्पाइष और उनकी टीम ने पाया कि आल्बेंडाजोल केवल 2.6 प्रतिशत मामलों में ही व्हिपवर्म के संक्रमण को दूर कर पाती है और इससे बच्चों के मल में कीड़े के अंडों की संख्या 45 फीसदी तक घट जाती है. लेकिन जब बच्चों को ऑक्सांथेल पामोएट दिया गया तो अंडों की संख्या 96 फीसदी घट गई. रिसर्चरों का मानना है कि अगर ऑक्सांथेल पामोएट के साथ आल्बेंडाजोल दिया जाए तो बच्चों को कई तरह के कीड़ों से छुटकारा दिलाया जा सकता है.
कोई बुरा असर नहीं
जब ऑक्सांथेल पामोएट को टेबलेट के रूप में लिया जाता है तो वह आंत में ही रहता है और खून में जाकर नहीं मिलता. इसीलिए इस दवा का सेवन करने वाले बच्चों में कोई खास बुरा असर दिखाई नहीं दिया. श्पाइष बताते हैं, "कुछ बच्चों ने हल्के सिरदर्द या मितली की शिकायत की, लेकिन ऐसा तो हर सामान्य दवा के साथ भी होता है." लेकिन इससे पहले कि इस ऑक्सांथेल पामोएट को इंसानों में व्हिपवर्म के इलाज के लिए स्वीकृति मिले, बहुत सारे लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल करने की जरूरत होगी. इसके अलावा इस दवा की सही खुराक कितनी हो, ऐसी चीजें भी पता करना बाकी है.
जर्मन दवा कंपनियों के संघ के रॉल्फ होएम्के कहते हैं कि ऐसी और भी दवाइयां हैं जो पहले जानवरों के इलाज में इस्तेमाल हुईं और बाद में उन्हें इंसानों के लिए भी असरदार पाया गया. ऐसी एक दवा का इस्तेमाल कीड़ों की ही एक और बीमारी के इलाज में होता है जिसे 'रिवर ब्लाइंडनेस' कहते हैं. होएम्के कहते हैं, "लेकिन ऐसे मामले अपवाद ही हैं." ज्यादातर इसका उल्टा होता है. सालों से डॉक्टर इंसानों में हाइपरटेंशन के इलाज के लिए टेल्मीसार्टान का इस्तेमाल करते आए हैं. अब जाकर इसे बिल्लियों के गुर्दे खराब होने पर भी इस्तेमाल के लिए स्वीकार किया गया है.
रिपोर्ट: ब्रिगिटे ओस्टराथ/आरआर
संपादन: महेश झा