क्यों फिसल जाते हैं पाकिस्तानी क्रिकेटर
५ जुलाई २०१२पाकिस्तान के लेग स्पिनर दानिश कनेरिया अब कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल सकेंगे. मैच फिक्सिंग के दोषी कनेरिया पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया है. बदनामी से लड़ते पाकिस्तानी क्रिकेट के लिए यह एक और बड़ा धब्बा है. 2010 में लॉर्ड्स में स्पॉट फिक्सिंग की किरकिरी झेलने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कड़े कदम उठाने का एलान किया. लेकिन कनेरिया के मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तानी क्रिकेट में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं.
देश में इस पर अब बहस भी हो रही है. संघीय ऊर्दू यूनिवर्सिटी कराची के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख तौसीफ खान कहते हैं, "नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले आम हैं, लेकिन 19 साल के आमिर का भ्रष्टाचार बहुत मुश्किल से पचाया जा सकता है. यह दिखाता है कि प्रेरित कर सकने वाले लोगों की कमी है और समाज में हर स्तार पर भ्रष्टाचार है."
1970 में पाकिस्तान में क्रिकेट का व्यवसायिकरण हुआ. क्रिकेटर अचानक लाखों रुपये कमाने लगे. पूर्व कप्तान मुश्ताक अहमद इस अथाह पैसे को ही भ्रष्टाचार की जड़ बताते हैं, "पाकिस्तान के ज्यादातर क्रिकेटर गरीब परिवारों से आते हैं और जब वह अचानक चारों ओर बहता हुआ पैसा देखते हैं तो दुर्भाग्य से वह गलतियां कर बैठते हैं."
कई लोग पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. सलीम मलिक और अता उर रहमान पर आजीवन प्रतिबंध और वसीम अकरम, वकार यूनुस, इन्जमाम उल हक, सईद अनवर और मुश्ताक अहमद जैसे खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाने के बावजूद बोर्ड सख्त रुख कायम नहीं रख सका. पूर्व कप्तान और मौजूदा कमेंट्रेटर रमीज राजा कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि सिस्टम खिलाड़ियों को खेल में अद्भुत भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता है. यहां कई और मुद्दे मिले हुए हैं. शिक्षा की कमी है जिसकी वजह से सही और गलत का फर्क करना मुश्किल हो जाता है. सामाजिक कमजोरी, गलत काम करने वालों का आगे बढ़ना, अच्छी परवरिश और आदर्श नायकों की कमी, क्रिकेट की यह खास मुश्किलें हैं."
पीसीबी पर भेदभाव का आरोप भी लगता है कि मैच फिक्सिंग के आरोपों के बावजूद बोर्ड ने कामरान अकमल और उनके भाई उमर अकमल के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की. कमजोर कनेरिया नप गए. बोर्ड एक बार फिर 19 साल के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर को टीम में वापस लाने की ख्वाहिश रखता है. आमिर पर पांच साल का प्रतिबंध है, लेकिन उन्हें नादान किशोर बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वह गलत संगत में पड़ गए.
2009 में लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान से सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी छिन गई. इस दौरान देश ने अभूतपूर्व बाढ़ का भी सामना किया. आतंकवाद और राजनीतिक उठा पटक के बीच क्रिकेट ही एक ऐसी चीज थी, जो देश में जोश का संचार कर सकती थी. लेकिन भ्रष्टाचार ने उसे भी हिकारत का विषय बना दिया.
ओएसजे/ एमजी (एएफपी)