खुद के खून से जोड़ों की सूजन का इलाज
१७ अगस्त २०११इस तरह के इलाज के लिए मरीजों का खून लिया जाता है और शरीर के उस हिस्से में डाला जाता है जहां दर्द या सूजन है. इससे कमजोर शिराओं को ठीक होने में मदद मिलती है क्योंकि डाला गया रक्त घाव के भरने के लिए मददगार साबित होता है. प्लेटलेट से भरपूर प्लाज्मा (पीआरपी) वह रक्त होता है जिसे रक्त की कोशिकाओं को अलग करने के लिए सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है. एथेंस के हेनरी डुनेंट अस्पताल के क्रिस्टोस थान्सास ने बताया, "अब टेनिस एल्बो से पीड़ित मरीजों के लिए नया हल मिल गया है. ब्लड ट्रीटमेंट वैसे भी दूर दराज के इलाकों के लिए बहुत अच्छा है."
कैसे हुई खोज
थान्सास और उनके साथियों ने पीआरपी के सिंगल लोकल इंजेक्शन का प्रभाव जानने के लिए ऑटोलोगस ब्लड इंजेक्शन से अल्ट्रासाउंड के जरिए इसकी तुलना की. टेनिस एल्बो यानी लेटरल एल्बो एपिकॉन्डेलाइटिस से पीड़ित 28 मरीजों की जांच की गई.
नतीजे में सामने आया कि इंजेक्शन का प्रभाव बढ़ गया था. तीन या छह महीने के बाद दोनों ही इलाज वाले मरीजों का दर्द कम हुआ और बीच में भी दर्द नहीं था.
यह जानकारी खेल चिकित्सा की एक पत्रिका में प्रकाशित किए गए. थान्सास कहते हैं, "पीआरपी लेटरल एपिकॉन्डेलाइटिस के लिए सबसे अच्छा इलाज साबित हो सकता है. खासकर अगर पारंपरिक इलाज जैसे कि आराम, सूजन कम करने वाली दवाइयों या फिजियोथेरेपी विफल हो गई हो, तब तो यह काफी कारगर होगा."
हालांकि अगर फिर भी यह ठीक नहीं होता तो ऑपरेशन इकलौता इलाज है. थान्सास कहते हैं कि इस बारे में आगे और शोध करने की जरूरत है कि कैसे पीआरपी थेरेपी सबसे प्रभावी हो सकती है. थान्सास ने जानकारी दी कि वह और उनके साथी अलग अलग सघनता में प्लेटलेट(व्हाइट ब्लड सेल्स) दे कर उसका असर जाचेंगे.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः वी कुमार