खेलना चाहता हूं, राजनीति नहीं: पेस
२९ जून २०१२गुरूवार को पेस ने विम्बल्डन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर और बात नहीं करना चाहते, लेकिन ओलंपिक्स को लेकर अपनी सारी चिंता उन्होंने बयान कर दी. विवाद के बारे में उन्होंने कहा, "हर ओलंपिक खेलों के साथ कुछ बेतुके विवाद भी उठते हैं. मैं जानता हूं कि मैं जो करता हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है और लोग उसकी इज्जत करते हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि भारत के अधिकतर लोग ऐसा करते हैं. अगर लोग इसका निरादर करना चाहें तो उनकी मर्जी."
विवाद तब शुरू हुआ जब महेश भूपति ने पेस के साथ खेलने से इनकार कर दिया और यह धमकी दी कि यदि उन्हें रोहन बोपन्ना के साथ न भेजा गया तो वह खेलों में शिरकत ही नहीं करेंगे. इसके बाद भारतीय टेनिस संघ आएटा ने खेलों के लिए दो टीमों को भेजने का फैसला किया और पेस की जोड़ी विष्णु वर्धन के साथ बनाई. वर्धन ने अब तक कोई ग्रैंड स्लेम मैच नहीं खेला है और वह पहली बार ओलंपिक्स खेलों में हिस्सा ले रहे हैं.
जिम्मेदारी निभाएंगे पेस
पांच बार ओलंपिक्स खेल चुके पेस ने वर्धन को ले कर चिंता जताते हुए कहा कि शायद उनके पास खेलने के लिए ठीक ठाक जूते भी नहीं हैं, "मुझे बस विष्णु की चिंता है. उसकी रैंकिंग 307 है और मैं तो यह भी नहीं जानता कि उसके पास ग्रासकोर्ट के लिए जूते भी हैं या नहीं... यह थोड़ा मुश्किल तो होगा. वह एक बहुत प्यारा बच्चा है और मैं बहुत खुश हूं कि मैं उसके साथ खेल रहा हूं, भले ही इसमें कई अड़चन हैं... उसने कभी विम्बल्डन नहीं खेला. मैं उसे सही जूते दिलाने की कोशिश करूंगा और वह सब करूंगा जो एक अनुभवी खिलाड़ी के तौर पर मुझे अपने पार्टनर की मदद के लिए करना चाहिए."
विष्णु वर्धन को ओलंपिक्स में भेजने के आएटा के फैसले के बाद मीडिया में खबरें आईं कि पेस इस से नाराज हैं और ओलंपिक्स में हिस्सा लेने से बचना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने नब्बे से अधिक खिलाड़ियों के साथ खेला है और मैं हमेशा अपने जोड़ीदार को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करता हूं. अड़चन जो भी आए, जब आप अपने देश के लिए खेलते हैं तो देश ही आपकी प्राथमिकता होता है... आपको आपके पूरे करियर के लिए जाना जाता है और इसी कारण मैं बहुत खुश हूं कि मैं अपने देश के लिए खेल रहा हूं."
भूपति के साथ मनमुटाव के बारे में पेस ने कहा, "मेरे ख्याल से यही जीवन है. अगर इस दुनिया में सब कुछ बहुत कड़वा या बहुत मीठा होता, तो उतना मजा नहीं आता. एक पेशेवर खिलाड़ी होने के कारण आप हमेशा सुर्खियों में रहते हैं और हर चीज बढ़ा चढ़ा कर दिखाई जाती है. लेकिन अगर आप किसी के भी जीवन को देखेंगे, मैं यकीन से कह सकता हूं कि सभी ऐसे अच्छे बुरे वक्त से गुजरते हैं."
आईबी/एमजी (रॉयटर्स, पीटीआई)