ग्रीस को पैकेज की किस्त पर फैसला टला
२० जून २०११यूरोजोन के वित्त मंत्रियों को उम्मीद है कि ग्रीस को यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से दिए जाने वाले कुल 110 अरब यूरो के राहत पैकेज के तहत 12 अरब यूरो की अगली किस्त जुलाई के मध्य तक अदा कर दी जाएगी. कर्ज में दबे ग्रीस का कहना है कि दिवालिया होने से बचने के लिए उसे इस ऋण की जरूरत है.
लेकिन यूरोजोन का कहना है कि ग्रीस की सरकार को अपने खर्चों में बड़ी कटौती करनी होगी. ग्रीक संसद को वित्तीय सुधारों से जुड़े कानून और राष्ट्र की पूंजी बेचने के बारे में कानून पास करने होंगे. सरकारी खर्चों में कटौती के खिलाफ पहले ही ग्रीस की जनता आग बबूला है. लेकिन बेल्जियम के वित्त मंत्री डिजीयर रेंडर्स का कहना है, "अगली किस्त देने के लिए हमें यह आश्वासन दिया जाए कि ग्रीक संसद विश्वास प्रस्ताव को मंजूर करेगी और इस कार्यक्रम का समर्थन करेगी. इसलिए फैसला जुलाई के शुरुआत में लिया जाएगा."
इस फैसले में देरी की वजह से सोमवार को एशियाई बाजारों में डॉलर के मुकाबले यूरो के मूल्य में कुछ गिरावट देखी गई.
लक्जेमबर्ग में सात घंटे तक चली बैठक के बाद जारी बयान में यूरोजोन के मंत्रियों ने यह भी घोषणा की कि वे मिल कर ग्रीस के लिए एक दूसरा राहत पैकेज तैयार करेंगे जो जुलाई के शुरुआत तक तैयार हो सकता है. इसमें पहली बार निजी निवेशकों के योगदान के आधार पर ऋण दिया जाएगा. ये निवेशक नए ग्रीक बॉन्ड्स खरीदकर अपना योगदान दे सकते हैं. मौजूदा बॉन्ड्स मैच्योर हो चुके हैं. बयान में यह नहीं कहा गया है कि यह पैकेज कितना बड़ा होगा. निजी निवेशकों के बारे में भी कोई खास जानकारी नहीं दी गई है. उन्हें बस "महत्वपूर्ण" कह कर संबोधित किया गया है.
यूरोजोन के आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि नया पैकेज 120 अरब यूरो तक का हो सकता है जिससे ग्रीस को 2014 के अंत में धनराशि मुहैया कराई जाएगी. इसमें 60 अरब यूरो नया सरकारी ऋण होगा, 30 अरब यूरो प्राइवेट सेक्टर से आने की उम्मीद है जबकि 30 अरब यूरो ग्रीस में निजीकरण की प्रक्रिया से जुटाए जाएंगे.
रविवार को ग्रीस के प्रधानमंत्री जॉर्ज पापांद्रेउ ने अपने देश की जनता से कहा कि वह खर्चों में कटौती की योजना का समर्थन करे जो "विनाशकारी" दिवालिएपन से बचने के लिए जरूरी है. ग्रीक संसद को संबोधित करते हुए ग्रीस के प्रधानमंत्री ने अपने देश के लोगों से टैक्सों को इजाफे को स्वीकार करने, सरकारी खर्चों में कटौती और निजीकरण की योजना को समर्थन देने की अपील की.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम