घरेलू ट्रैक पर फेल हुए जर्मन ड्राइवर
२५ जुलाई २०११हाइडफेल्ड की टक्करः रिमझिम बारिश के बाद शुरू हुई रेस में पहले ही यह बात तय थी कि मुकाबला आसान नहीं होगा. बिजली की गति से चलने वाली कारों को खराब मौसम के बाद गीले पड़ चुके ट्रैक के साथ भिड़ना होगा और एक्सीलेटर के साथ दिमाग का भी इस्तेमाल करना होगा. रेनां चलाने वाले निक हाइडफेल्ड पहले शिकार बने. जर्मनी के हाइडफेल्ड की कार पहले चक्कर में ही फोर्स इंडिया के पॉल डी रेस्टा से टकरा गई. लेकिन नौवें चक्कर के बाद उन्हें एक और टक्कर झेलनी पड़ी, जब एक तेज मोड़ पर गाड़ी को ओवरटेक करने की कोशिश में वह टोरो रोसो टीम के सेबास्टियान बोएमी से भिड़ बैठे. उनकी कार हवा में उछल कर नीचे गिरी और उन्हें रेस से बाहर होना पड़ा. हाइडफेल्ड 11 साल से फॉर्मूला वन में हैं और 184 रेस में हिस्सा ले चुके हैं. लेकिन अभी तक उन्होंने कोई रेस नहीं जीती है.
घूम गए शूमाकरः मिषाएल शूमाकर का नाम इतना बड़ा है कि नुरबुर्गरिंग में उनके नाम का एक स्टॉल भी है. 42 साल की उम्र में जर्मन ड्राइवर शूमाकर रेसिंग कर रहे हैं और उन्होंने जर्मन ग्रां प्री में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाई. संन्यास तोड़ने के बाद ट्रैक पर शूमाकर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. लेकिन जर्मन ग्रां प्री में वह अच्छी गाड़ी चला रहे थे. पर एक मोड़ पर उनका नियंत्रण खो गया और गाड़ी घूम गई. सेकंड सेकंड में फैसला बदल देने वाली रेस में यह गलती भारी पड़ी और पांच बार इस ट्रैक पर जीत हासिल कर चुके शूमाकर को आठवें नंबर पर ही रहना पड़ा.
नहीं चला सूटिल का फोर्सः फोर्स इंडिया के आद्रियान सुटिल ने क्वालीफाइंग रेस में चौथा स्थान हासिल किया था और उनसे उम्मीद जताई जा रही थी कि वह फाइनल रेस में और अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. 28 साल के सुटिल को तकनीक के मामले में बेहतरीन ड्राइवर माना जाता है और वह चार साल से विजय माल्या की फोर्स इंडिया टीम से जुड़े हैं. लेकिन रविवार के खराब मौसम में उनकी गाड़ी भी शनिवार की तरह जलवा नहीं दिखा पाई. फिर भी उन्हें छठा स्थान जरूर मिला. पांच साल से ड्राइविंग कर रहे सुटिल को अब तक कभी पोडियम पर चढ़ने का मौका नहीं मिला है.
फेल हुए फेटेलः पिछले साल के चैंपियन और इस साल भी अंक तालिका में सबसे आगे चल रहे जर्मनी के 24 साल के सेबेस्टियान फेटेल भी अपने घरेलू ट्रैक पर फेल हो गए. यह पहला मौका रहा, जब वह इस सीजन में पोडियम पर नहीं चढ़ पाए. वह चौथे नंबर पर रहे. हालांकि उनकी ड्राइविंग को देख कर यह नंबर भी अच्छा ही माना जा रहा है. तीसरे नंबर से रेस शुरू करने के बाद फेटेल ने रविवार को बेहद खराब ड्राइविंग की और एक बार उनकी गाड़ी ट्रैक से भटक गई. वह एक बार को 10वें और 11वें नंबर के लिए जूझते दिखे. लेकिन आखिर के कुछ लैप में शानदार ड्राइविंग के बाद उन्हें चौथा नंबर मिल गया. इस हार के बाद भी वह इस सीजन में पहले नंबर पर बने हुए हैं.
औसत रोजबर्गः शूमाकर के साथ मर्सिडीज चलाने वाले जर्मनी के निको रोजबर्ग जर्मनी और फिनलैंड दोनों देशों के नागरिक हैं और दोनों देशों से रेस करने के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं. उनके पिता फिनलैंड के हैं. हालांकि वह जर्मन परचम के साथ ट्रैक पर उतरते हैं. मर्सिडीज की शानदार कार के साथ रोजबर्ग की अच्छी समझ काम आती है. छह साल से फॉर्मूला वन में हिस्सा ले रहे रोजबर्ग जर्मन ग्रां प्री में अच्छे प्रदर्शन के बाद भी सातवां स्थान ही हासिल कर पाए.
17 पर ग्लॉकः वर्जिन कार चलाने वाले टिमो ग्लॉक के पास फॉर्मूला वन का अच्छा खासा अनुभव है और वह सात साल से ट्रैक पर कार चला रहे हैं. इस दौरान वह तीन बार शीर्ष तीन ड्राइवरों में शामिल हो चुके हैं. लेकिन जर्मन ग्रां प्री में उनकी कार भी दूसरे जर्मन ड्राइवरों की तरह सुस्त ही रही और उन्हें 17वें नंबर पर ही संतोष करना पड़ा.
संतोष की बात सिर्फ इतनी रही कि छह में से चार जर्मन ड्राइवर शुरुआती 10 में शामिल हो पाए, जिसके साथ ही उन्हें अंक मिले. फॉर्मूला वन में सिर्फ शुरू के 10 ड्राइवरों को अंक मिलते हैं. पहले नंबर वाले ड्राइवर को सबसे ज्यादा 25 और 10वें नंबर वाले को एक अंक मिलता है. सीजन के आखिर में इन्हीं अंकों को जोड़ कर विजेता तय किया जाता है. फिलहाल जर्मनी के फेटेल के पास ही सबसे ज्यादा 216 अंक हैं.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ, नुरबुर्गरिंग (जर्मनी)
संपादनः आभा एम