चीन की घुड़की पर पाकिस्तान का आश्वासन
३१ अगस्त २०११चीन ने अपने यहां हुए कुछ आतंकवादी हमलों के तार पाकिस्तान से जोड़े थे. पिछले महीने शिनजियांग में आतंकी हमले हुए. शिनजियांग प्रांत की सरकार ने आरोप लगाया कि ये हमले जिन आतंकियों ने अंजाम दिए, उन्हें पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई.
चीन की तरफ से इस तरह का तीखा बयान आने के बाद पहली बार बीजिंग के दौरे पर गए जरदारी ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान पूरा सहयोग करेगा. शिन्हुआ ने लिखा है, "जरदारी ने कहा है कि पाकिस्तान किसी भी आतंकवादी गतिविधि का विरोध करता है और वह इस खतरे से लड़ने में चीन के साथ मिल कर काम करेगा."
क्या हुआ चीन को
आतंकवाद को लेकर चीन ने अब तक पाकिस्तान पर कभी सीधा सीधा आरोप नहीं लगाया था. लेकिन बीते महीने के आखिरी हफ्ते में शिनजियांग प्रांत के कशगर शहर में हुए आतंकी हमले से वह बौखलाया हुआ है.
चीन का शिनजियांग प्रांत में हाल के सालों में मुस्लिम उइगुर समुदाय के विद्रोह की वजह से अशांत रहा है. वहां पिछले एक साल में ही कई आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं. अल्पसंख्यक उइगुर समुदाय अपने उत्पीड़न का आरोप लगाता रहा है. वहां से अलगाववादी मांगें भी सुनाई दी हैं.
जुलाई में हुए हमले के बाद स्थानीय सरकार ने इल्जाम लगाया कि इनमें से एक हमले में शामिल आतंकवादी पाकिस्तान के आतंकवादी कैंपों से ट्रेनिंग लेकर आए थे. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की तरफ से ऐसे कोई गंभीर सबूत पेश नहीं किए गए हैं कि ये आतंकी हमले किसी संगठन की तरफ से किए गए. ये विशेषज्ञ इन हमलों के लिए स्थानीय लोगों की नाराजगी को ही जिम्मेदार मानते हैं. इसके बावजूद पाकिस्तान ने बिना देर किए कह दिया है कि वह चीन का पूरा सहयोग करेगा.
क्या हुआ पाकिस्तान को
पाकिस्तान के लिए आतंकवाद से लड़ाई से ज्यादा गंभीरता चीन के साथ संबंधों की है. भारत और अमेरिका वक्त वक्त पर पाकिस्तान से कहते रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ गंभीरता लाई जानी चाहिए. भारत के तो आरोप रहे हैं कि पाकिस्तान उसके यहां आतंकवादी गतिविधियों को शह देता है और वहां आतंकियों को ट्रेनिंग मिल रही है. 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच झगड़ा ही इस बात का है कि पाकिस्तान जिम्मेदार लोगों को सजा देने में गंभीर है या नहीं. भारत का कहना है कि पाकिस्तान मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहा है. पाकिस्तान इसके जवाब में जो बयान देता है, उसकी गंभीरता पर सवाल उठते हैं. इसकी वजह जमीन पर दिखने वाली हकीकत है क्योंकि न तो भारत में आतंकवादी हमले रुके हैं और न ही पाक जमीन पर आतंकियों को मदद बंद हुई है. अमेरिकी दबाव के बावजूद कई बड़े आतंकवादी संगठनों के नेता पाकिस्तान में आराम से रह रहे हैं.
चीन इस बारे में अब तक चुप रहा है. उसने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर अब से पहले कोई खास दबाव नहीं बनाया था. अब पहली बार ऐसा हुआ है कि चीन ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर आरोप लगाए. पहले ही बयान के बाद पाकिस्तान की ओर से सहयोग का वादा मिल गया. इसकी वजह पाकिस्तान की मजबूरी है.
अंतरराष्ट्रीय दबाव झेलने में चीन पाकिस्तान के लिए कुशन का काम करता है. उसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन की मदद मिलती है. साथ ही पाकिस्तान में चीन की विशाल व्यापारिक गतिविधियां फैली हैं. आर्थिक और सामरिक मदद के लिए भी पाकिस्तान चीन पर निर्भर है. चीन और पाकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं. पाकिस्तान की सेना के लिए भी चीन महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे हथियार और तकनीक बीजिंग से ही मिलती है. राष्ट्रपति जरदारी का आश्वासन अमेरिका के साथ बढ़ती दूरी के बीच चीन को नाराज न करने की कोशिश का हिस्सा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा