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चीन ने सीरिया पर वीटो को सही ठहराया

६ फ़रवरी २०१२

चीन ने सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्ताव के खिलाफ वीटो करने के अपने फैसले को बिलकुल सही ठहराया है. चीन का कहना है कि लीबिया, अफगानिस्तान और इराक के तजुर्बे से साफ है कि पश्चिमी देशों के फैसले त्रुटिपूर्ण रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिऊ वाइमिन का कहना है कि इस प्रस्ताव के पास हो जाने से कोई मदद नहीं मिलने वाली थी. अरब लीग के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र में जो प्रस्ताव पेश किया गया था, उसके मुताबिक सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से गद्दी छोड़ने को कहा जाना था.

शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में जब यह प्रस्ताव आया, तो रूस और चीन ने इसके खिलाफ वोटिंग करने का फैसला किया. ये दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल हैं और इनके विरोध करने के बाद प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सकता. तीन अन्य स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने चीन के रुख को "तमाशा" बताया. हालांकि लिऊ का कहना है कि चीन अरब लीग के प्रयासों का समर्थन करता है, जिसके तहत सीरिया में सामान्य स्थिति बनाने की कोशिश की जा रही है.

München Sicherheitskonferenz 2012
तस्वीर: picture-alliance/dpa

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य की बात है कि सभी पक्षों में एकराय नहीं बनी थी, इसके बाद कुछ देशों ने प्रस्ताव पेश कर दिया, जिसके बाद वीटो करना मजबूरी थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एकता के लिए यह कदम सही नहीं था कि समस्या के खात्मे के लिए इस तरह का प्रस्ताव लाया जाए. इसलिए चीन ने प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर दिया." लिऊ ने साफ किया कि उनका देश किसी का समर्थन नहीं कर रहा है, "सीरिया के मुद्दे पर साफ है कि चीन किसी भी पक्ष का न तो समर्थन कर रहा है और न ही किसी के खिलाफ है."

खून से सने हाथ

अमेरिका के राजदूत ने कहा था कि इसके बाद चीन के हाथ खून से रंग जाएंगे. इस बारे में सवाल पूछे जाने पर लिऊ ने कहा कि हम इस तरह के आरोप स्वीकार नहीं करते. सीरिया पर चीन के इस रुख से अंतरराष्ट्रीय समीकरणों में बदलाव आया है. चीन हाल के दिनों में बेहद मजबूत होकर उभरा है लेकिन आम तौर पर वह अंतरराष्ट्रीय मसलों पर राय नहीं देता. वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में भी दखल नहीं देता लेकिन सीरिया पर उसने मजबूत रुख दिखाया है.

संयुक्त राष्ट्र में सीरिया पर प्रस्ताव ऐसे दिन आया, जब पश्चिमी देशों का आरोप है कि सीरिया की सेना ने होम्स शहर के एक हिस्से में बमबारी की है और जिसमें 200 लोग मारे गए हैं. 11 महीने से चले आ रहे संकट का यह सबसे खूनी दिन बताया जा रहा है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीरिया की सेना ने सोमवार को भी इस शहर को घेर लिया. इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति के बाकी के तीन स्थायी सदस्यों और भारत सहित 10 अस्थायी सदस्यों ने सीरिया के खिलाफ वोटिंग की थी.

रूस और चीन साथ

सीरिया के मुद्दे पर चीन ने जिस तरह से रूस का साथ दिया है, उससे अमेरिका और चीन के रिश्तों में भी तनाव आ सकता है. उप राष्ट्रपति झी जिनपिंग अगले महीने अमेरिका जाने वाले हैं. समझा जाता है कि आने वाले दिनों में झी ही चीन के प्रमुख नेता बन सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत सूजन राइस का कहना है कि जिस तरह से रूस और चीन ने यूएन में कदम उठाया है, वह "घृणित" है. राइस ने कहा, "अब जो भी खून बहेगा, उससे उनके (रूस और चीन) हाथ रंगे होंगे."

Bashar Assad Proteste Syrien
तस्वीर: AP

चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख अखबार द पीपल्स डेली ने इस विषय पर संपादकीय छापा है, जिसमें चीन के फैसले का स्वागत किया गया है और कहा गया है कि वह सीरिया में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप के खिलाफ है. संपादकीय है, "सीरिया में लगातार स्थिति खराब होती जा रही है और मरने वाले असैनिकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग करके हम ऐसा संदेश नहीं देना चाहते कि हम इस हृदयविदारक घटना को समर्थन करते हैं." इसमें कहा गया है कि पश्चिमी देशों ने नहीं, बल्कि चीन ने जिम्मेदारी से काम किया है.

लीबिया पर भी मतभेद

इससे पहले पिछले साल मार्च में लीबिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के वक्त चीन गैरहाजिर रहा था. उसी प्रस्ताव के पास होने के बाद नाटो ने लीबिया के अंदर हमले शुरू किए और आखिरकार लीबिया के शासक मोअम्मर गद्दाफी का खात्मा हुआ. रूस और चीन ने बार बार कहा था कि नाटो ने अधिकार से ज्यादा बलप्रयोग किया. चीन का कहना है कि लीबिया के अनुभव से कहा जा सकता है कि कागजों पर भले ही कुछ और हो लेकिन बाद में सीरिया में सशस्त्र हमलों को रोका नहीं जा सकेगा.

द पीपल्स डेली में कहा गया है, "इराक और अफगानिस्तान की त्रासदियां विश्व की आंखें खोलने के लिए काफी हैं."

समीक्षाः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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